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चाय उद्योग को बचाने के लिए सभी से एकजुट होने की अपील

 


अमित नागोरी 


गोलाघाट। नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन (नेटा) और ऑल असम स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन की गोलाघाट जिले के पदाधिकारियों ने बैठक में संयुक्त रूप से चर्चा की और तय किया कि चाय बोर्ड की 65% फाइन लीफ और एमबीपी की गाइडलाइन न तो व्यावहारिक रूप से व्यवहार्य और स्वीकार्य नही है।


हरी पत्ती की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा है। हरी पत्ती का न्यूनतम मानक अच्छी गुणवत्ता वाली चाय के उत्पादन के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए जिसके लिए उत्पादकों और उत्पादकों को एक सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए आना चाहिए।


बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 1 अगस्त, 2021 तक बैलोमेट्रिक के अनुसार ४०% बारीक पत्तों की गणना की जाए और तोकलाई की गणना पद्धति को अनिवार्य किया जाना चाहिए और इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। 1 अगस्त, 2021 तक हरी पत्तियों का न्यूनतम मूल्य रु. 20.00 प्रति किग्रा किया गया है । 


2 अगस्त से उत्पादक 50 प्रतिशत फाइन काउंट के साथ हरी पत्ती की आपूर्ति करेंगे जिसकी न्यूनतम कीमत 2 अगस्त, 2021 से रु.  23.00 प्रति किलोग्राम की जाएगी । एक बार ५०% बारीक पत्तों की संख्या का स्तर प्राप्त हो जाने पर, चाय की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे चाय की मांग और कीमतों में वृद्धि होगी।


नेटा और गोलाघाट जिले के  ऑल असम स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि ने चाय उद्योग को बचाने के लिए सभी से एकजुट होने की अपील की है।


यह जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नेटा के अध्यक्ष सुनील जालान, राजीव गोहेन, वित्त सचिव (ए ए एस टी जी ए ) केंद्रीय समिति और अच्युत बोरुआ, महासचिव (ए ए एस टी जी ए ) , गोलाघाट जिला द्वारा दी गयी है । 

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