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रेलवे ने कचरे से हल्का डीजल बनाने का पहला सरकारी संयंत्र किया स्थापित

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने प्लास्टिक और ई-कचरा सहित सभी तरह के कचरे से हल्का डीजल तेल बनाने के लिए भुवनेश्वर में ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित किया है। इस इल्के डीजल का इस्तेमाल भट्टी जलाने में होता है। कचरे से 24 घंटे में ऊर्जा उत्पादन का यह भारतीय रेलवे में अपनी तरह का पहला और भारत में चौथा संयंत्र है। पूर्व तटीय रेलवे ने भुवनेश्वर के मानचेस्वर कैरिज रिपेयर वर्कशॉप में इसे स्थापित किया है। इसकी क्षमता प्रतिदिन 500 किलोग्राम कचरा की है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (रॉलिग स्टॉक) राजेश अग्रवाल और पूर्व तटीय रेलवे के महाप्रबंधक विद्या भूषण ने इसका उद्घाटन किया। कचरा से ऊर्जा उत्पादन के इस संयंत्र का निर्माण तीन महीने में किया गया है।
रेल मंत्रालय ने बताया कि कचरे से ऊर्जा उत्पादन का यह संयंत्र पेटेंटकृत प्रौद्योगिकी है जिसे पॉलीक्रैक कहा जाता है। यह दुनिया की पहली पेटेंटकृत विषम उत्प्रेरक प्रक्रिया है जो विभिन्न तरह के कचरे को हाइड्रोकार्बन तरल ईंधनगैसकार्बन और पानी में बदल देती है। पॉलीक्रैक संयंत्र में सभी तरह के प्लास्टिकपेट्रोलियम अपशिष्ट, 50 प्रतिशत तक की नमी वाले मिले हुए ठोस कचरे एमएसडब्ल्यू (नगरपालिका ठोस कचरा)ई-कचराऑटोमोबाइल कचराबांसबगीचे के कचरे इत्यादि सहित सभी जैविक कचरे और जेट्रोफा फल डाले जा सकते है। मानचेस्वर कैरिज रिपेयर वर्कशॉपकोच डिपो और भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से निकले कचरे इस संयंत्र के लिए फीडर मैटेरियल होंगे।
यह प्रक्रिया एक बंद लूप सिस्टम है और यह वायुमंडल में किसी भी खतरनाक प्रदूषक का उत्सर्जन नहीं करता है। पूरे सिस्टम को ऊर्जा प्रदान करने के लिए इस ज्वलनशील, गैर-संघनित गैसों का फिर से उपयोग किया जाता है। इस प्रकार गैसीय ईंधन के जलने से एकमात्र उत्सर्जन आता है। इस प्रक्रिया में दहन से निकलने वाला उत्सर्जन निर्धारित पर्यावरणीय मानदंडों से बहुत कम होता है। यह प्रक्रिया लाइट डीजल तेल के रूप में ऊर्जा उत्पादन करेगा जिसका इस्तेमाल भट्टियां जलाने में होता है।(हि.स.)

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