जयपुर। राजस्थान विधानसभा में शनिवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में संकल्प ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। राजस्थान सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में संकल्प पारित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इससे पहले पंजाब और केरल विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित हुआ था।
सदन में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के संकल्प पेश करते ही भाजपा विधायकों ने जमकर विरोध किया। विपक्ष की संकल्प पर मत विभाजन की मांग अध्यक्ष ने ठुकरा दी, तब विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई। कांग्रेस विधायकों ने जहां सीएए को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया वहीं विपक्षी सदस्यों ने सीएए को नागरिकता देने का कानून बताया ना कि नागरिकता छीनने का।
संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल द्वारा पेश संकल्प में कहा गया कि सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। सीएए में किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों में विभेद करते हैं। यह व्यक्तियों के एक वर्ग को भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए बनाए गए हैं। संकल्प में बताया गया है कि एनआरसी और एनपीआर की प्रस्तावना एक ही है। एनपीआर में लोगों से चाही जाने वाली प्रस्तावित अतिरिक्त सूचना से बड़े पैमाने पर लोगों को असुविधा होने की संभावना है। इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा। असम इसका जीवंत उदाहरण है, इसलिए केंद्र सरकार सीएए के संशोधन वापस लेने के साथ लोगों के मन में उपजी ऐसी आशंकाओं को भी दूर करे, जो एनपीआर में अपडेट के लिए चाही गई हैं। एनपीआर में किए गए संशोधन वापस लेने के बाद ही केन्द्र सरकार को जनगणना का काम हाथ में लेना चाहिए।
संकल्प में लिखा गया है कि हमारे देश के संविधान में यह स्पष्ट कथन है कि भारत एक पंथ निरेपक्ष देश हैं। यह संविधान की आधारभूत विशेषता है और इसे बदला नहीं जा सकता। इसके साथ ही संविधान का अनुच्छेद-14 स्पष्ट रूप से यह निश्चित करता है भारत के राज्य क्षेत्र में कोई व्यक्ति विधि के समक्ष समता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं होगा। सीएए का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है। धर्म के आधार पर ऐसा विभेद संविधान के प्रतिष्ठित पंथ निरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इससे देश का पंथ निरपेक्ष ताना बाना खतरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में सीएए में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसा क्यों किया गया? इसकी आशंका भी जनता में है। इसी के चलते देशभर में सीएए, एनआरसी और एनपीआर इन तीनों के खिलाफ व्यापक विरोध हुए है।
संकल्प प्रस्ताव पर हुई बहस के बाद धारीवाल ने कहा कि सीएए के कारण देश भर में हिंसा हुई, कई जानें चलीं गईं। इस कारण देश का सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की इज्जत इसकी धर्मनिरपेक्ष छवि से बनी है लेकिन सीएए आने के बाद छवि खराब हुई है। उन्होंने कहा किसी भी राज्य अथवा व्यक्ति को केन्द्र सरकार के किसी भी कानून के खिलाफ न्यायालय जाने का अधिकार है। हमारी मांग है कि चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय होने तक सीएए के क्रियान्वयन को रोक देना चाहिए और इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। चुनिंदा देशों के नागरिकों को धर्म के आधार पर नागरिकता देने का हम विरोध करते हैं।
संकल्प प्रस्ताव के विरोध में बोलते हुए भाजपा विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर कानून बना दिया है। राज्य में इस कानून को लागू करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, इतने सारे तथ्यों के बावजूद पीड़ितों के आंसू पोंछने के बजाय सीएए का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि सीएए 1947 में हुई विभाजन की गलती को दुरुस्त करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि ये हास्यास्पद बात है कि कांग्रेस सरकार के पिछले साल जारी जन घोषणा पत्र में विस्थापितों के हितों की रक्षा करने की बात लिखी गई है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ही राजनीति के चलते अब इसका विरोध कर रही है।
प्रस्ताव का विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि कि सीएए नागरिकता देने का कानून है, ना कि नागरिकता छीनने का। केंद्र ने बहुमत के आधार पर कानून बनाया है, इसे प्रदेश सरकार को चैलेंज करने का कोई अधिकार नहीं है। यह केवल झेंप मिटाने का प्रयास है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वह इस कानून को राज्य में लागू नहीं करेंगे लेकिन अब उनकी सात पीढ़ी भी इस कानून को लागू करेगी। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वोटों की गिनती के आधार पर देश चलाओगे तो देश का बंटाधार हो जाएगा। देश के विभाजन के कारण ही ये समस्या आई है। तुष्टीकरण की नीति के लिए देश आपको माफ नहीं करेगा। उन्होंने कहा जो मुस्लिम देश है, वहां मुसलमान प्रताड़ित नहीं हो सकते और यदि ऐसा है तो यह भारत को धर्मशाला बना दो और कोई भी बम फोड़ने वाला आए, उसका स्वागत करो। उन्होंने कहा कि रात और पार्टी आती-जाती रहेंगी लेकिन देश हमेशा रहेगा। एक जमीन का टुकड़ा बचा है, आप उसे भी खत्म कर दो। केंद्र का ये कानून देश के हित में है, इसी के आधार पर हिन्दुस्तान-हिन्दुस्तान रहेगा।(हि.स.)
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