गुवाहाटी। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर सोमवार को डॉ. देबश्री सरकार (गायनोकोलॉजिस्ट) कहा है कि गर्भवती महिलाओं की पर्याप्त देखभाल करनी चाहिए। बहुत से लोगों को अभी भी इस बात की समझ नहीं है कि गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए और प्रसवोत्तर देखभाल मां और बच्चे के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि देश में हर साल 45000 से भी अधिक महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल न होने के कारण मौत हो जाती है। डॉ. सरकार का कहना है कि अशिक्षा, जानकारी की कमी, समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, छोटी उम्र में विवाह, बिना तैयारी के गर्भधारण आदि कुछ कारणों की वजह से मां बनने का खूबसूरत अहसास कई महिलाओं के लिए जानलेवा और जोखिम भरा साबित होता है। कई मामलों में मां या नवजात शिशु या दोनों की ही मौत हो जाती है।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर मातृ मृत्यु की वजह बच्चे को जन्म देते वक्त अत्यधिक रक्त स्राव के कारण होती है। इसके अलावा इंफेक्शन, असुरक्षित गर्भपात या ब्लड प्रेशर भी अहम वजह हैं। प्रसव के दौरान लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को आपात सहायता की आवश्यकता होती है।
डॉ.देबश्री ने कहा कि गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतों के बारे में सही जानकारी न होने तथा समय पर मेडिकल सुविधाओं के न मिलने या फिर बिना डॉक्टर की मदद के प्रसव कराने के कारण भी मौतें हो जाती हैं। जच्चा और बच्चा की सेहत को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का अहम रोल होता है लेकिन इनकी कमी से कई महिलाएं प्रसव पूर्व न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने योजनाएं शुरू कर समाज में जागरूकता फैलाकर महिलाओं का सशक्तिकरण किया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान केंद्र सरकार की नई पहल है। इसके तहत प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर उनकी गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा।
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