सरकार ने गुड्स और सर्विस टैक्स को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब जीएसटी नेटवर्क को पीएमएलए के अंतर्गत लाया गया है जिससे काले धन पर लगाम कसी जा सके। इसके तहत फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना और फर्जी चालान आदि जैसे जीएसटी अपराध मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में शामिल होंगे।
सरकार ने जीएसटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीएसटीएन नाम का एक मजबूत आईटी नेटवर्क स्थापित किया है। जीएसटीएन जीएसटी के काम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, टैक्स पेयर्स और अन्य स्टेक होल्डर्स को एक शेयर्ड आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सर्विस देता है।
जीएसटीएन के फंक्शनिंग में क्या-क्या शामिल
जीएसटीएन के फंक्शनिंग में कुछ चीजें शामिल होती हैं जिनमें कंज्यूमर को रजिस्ट्रेशन की सर्विस प्रोवाइड कराना, सेंट्रल और स्टेट अथॉरिटी को रिटर्न फॉरवर्ड करना, आईजीएसटी की गणना और सेटेलमेंट करना, टैक्स पेमेंट डीटेल्स का बैंकिंग नेटवर्क से टैली करना, टैक्स पेयर रिटर्न जानकारी के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को एमआईएस की रिपोर्ट प्रोवाइड कराना, करदाताओं की प्रोफाइल का एनालिसिस प्रदान करना और इनपुट टैक्स क्रेडिट के मिलान, रिवर्सल और रिक्लेम करने की व्यवस्था करना शामिल है। जीएसटी लागू करने की टारगेट डेट 1 जुलाई, 2017 है।
जीएसटीएन छोटे व्यापारियों को अपने खाते रखने के लिए स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर भी प्रोवाइड कराएगा। इसे सीधे जीएसटीएन वेबसाइट पर उनके मंथली रिटर्न के रूप में अपलोड किया जा सकेगा। इससे छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी के नियमों का पालन आसान हो जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें