महाकुंभ में पहली बार पूर्वोत्तर का शिविर लगाया गया है, जिससे बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के श्रद्धालु महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। पूर्वोत्तर के सुदूर क्षेत्रों से आए 20 से अधिक संत महात्मा बुधवार को मौनी अमावस्या पर अखाड़ों के साथ पहली बार अमृत स्नान करेंगे। सेक्टर सात में प्राग्ज्योतिष क्षेत्र नाम से लगे शिविर में निर्मोही अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर महंत केशव दास जी महाराज ने बताया कि मौनी अमावस्या पर अखाड़ों के साथ पूर्वोत्तर से 22 संत भी अमृत स्नान करेंगे। इनमें से ज्यादातर संत पहली बार अमृत स्नान करेंगे। उन्होंने बताया कि पहली बार प्रयागराज महाकुंभमें पूर्वोत्तर का शिविर लगने से हजारों की संख्या में पूर्वोत्तर से लोग यहां आ रहे हैं। लोगों में महाकुंभ का हिस्सा बनने को लेकर भारी उत्साह है। इस शिविर में प्रभु पीतांबर देव गोस्वामी, पद्मश्री से सम्मानित चित्त महाराज समेत पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी प्रमुख संत शामिल हो रहे हैं। महंत केशव दास जी महाराज ने बताया कि पूर्वोत्तर को कामाख्या देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। मेले में कामाख्या मंदिर की प्रतिकृति पहली बार स्थापित हुई है। यहां कामाख्या का जल, गंगा जल मिलाकर भक्तों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में वैष्णव परंपरा अति प्राचीन है जो नामघर परंपरा से संचालित होती है। पहली बार यहां कुंभ में नामघर की स्थापना की गई है। जिस प्रकार उत्तर भारत में मंदिर होते हैं, उसी तरह, पूर्वोत्तर में नामघर होते हैं। यह परंपरा श्रीमंत शंकरदेव जी द्वारा विकसित की गई। इस नामघर के लिए दीपक जलाने, कीर्तन आदि का एक विधान है और उसी विधान के साथ यहां नामघर की स्थापना हुई है।
इसमें श्रीमंत शंकरदेव महापुरुष द्वारा रचित भागवत का अखंड पाठ होगा। उन्होंने इस शिविर के बारे में बताया कि नॉर्थ ईस्ट नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है। इसका पुराना नाम प्राग्ज्योतिषपुर है। इसलिए इस शिविर का नाम प्राग्ज्योतिष क्षेत्र रखा गया है। महंत केशव दास जी महाराज ने बताया कि इस शिविर में बैंबू डांस, अप्सरा नृत्य, राम विजय भावना का भी प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा कि इन सांस्कृतिक तत्वों को एक साथ महाकुंभ में पहली बार प्रस्तुत किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ महाकुंभ 2025 में पिछले 17 दिनों में 15 करोड़ से अधिक लोग गंगा और संगम में स्नान कर चुके हैं तथा बुधवार को मौनी अमावस्या पर और 10 करोड़ लोगों के गंगा स्नान करने की संभावना है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि प्रशासन ने मौनी अमावस्या के लिए पूरी तैयारी कर ली है। मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ को देखते हुए मेला क्षेत्र के चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के उपाय किए गए हैं और एआई से युक्त सीसीटीवी कैमरे तथा ड्रोन से लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। मेला क्षेत्र को अगले कुछ दिनों के लिए पहले ही नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है, प्रयागराज जिला प्रशासन ने भी स्थानीय लोगों से चार पहिया वाहनों के उपयोग से बचने तथा वरिष्ठ नागरिकों को संगम पर ले जाने के लिए केवल दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करने की अपील की है। प्रदेश सरकार के मुताबिक, मकर संक्रांति (14 जनवरी) को 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों और कल्पवासियों ने अमृत स्नान में हिस्सा लिया। वहीं आगामी मौनी अमावस्या के लिए आठ से 10 करोड़ लोगों के स्नान करने की संभावना है। मंगलवार को सुबह आठ बजे तक 45 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। राज्य सरकार ने कहा कि उसने मौनी अमावस्या के अवसर पर बुधवार को सुबह पौने सात बजे श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करने की योजना बनाई है। अमृत स्नान (पूर्व में शाही स्नान), महाकुंभ मेले का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा स्नान पर्व होता है जिसमें दुनियाभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का स्नान होता है। अमृत स्नान की तिथियां सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के ज्योतिषीय मेल पर आधारित होती हैं और माना जाता है कि इनके योग से पवित्र नदियों की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है। यह भी माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों का जल अमृत में परिवर्तित हो जाता है।
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