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शयन कक्ष और वास्तु — एक चर्चा

 


देवकीनंदन देवड़ा (सूरत)
9377607101


वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष (बेडरूम) में संतुलन, स्वास्थ्य और सुख-शांति बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सही दिशा, रोशनी, और ऊर्जा प्रवाह से बेहतर नींद और सकारात्मक वातावरण प्राप्त होता है।


मुख्य सुझाव:


सोने की दिशा — सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें। बिस्तर के ऊपर कोई बीम (विम) नहीं होना चाहिए।


दर्पण और दरवाज़े की स्थिति — दर्पण पूर्व या उत्तर दिशा में लगाएँ। बिस्तर के ठीक सामने दर्पण या कमरे का मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए।


बिस्तर की बनावट — बिस्तर मजबूत लकड़ी (जैसे शिशम या सागवान) से बना हो। ऊँचाई: 18 से 24 इंच। चार पैरों वाला बिस्तर हवा के प्रवाह के लिए उत्तम होता है।


बिस्तर के नीचे क्या न रखें — किसी भी प्रकार का भंडारण न करें। विशेष रूप से जूते-चप्पल, झाड़ू या अन्य वस्तुएँ न रखें।


प्राकृतिक रोशनी और वायु का प्रवाह — दिन में खिड़कियों के पर्दे हटाएँ, सूर्य का प्रकाश आने दें। मच्छर जाल लगाकर ताजी हवा के लिए वेंटिलेशन बनाए रखें।


दीवारों की स्थिति — शयनकक्ष की दीवारों में दरार नहीं होनी चाहिए। दरारें मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकती हैं।


दीवारों का रंग — शयनकक्ष में हल्के और शांत रंगों का प्रयोग करें जैसे कि हल्का पीला (Light Yellow), क्रीम (Cream) या सफेद (White)। ये रंग मानसिक शांति, विश्राम और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।


इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाएँ — शयनकक्ष में टीवी, लैपटॉप, मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की उपस्थिति को सीमित करें। विशेष रूप से, इन्हें सिर के पास रखने से बचें क्योंकि इनसे निकलने वाली तरंगें नींद की गुणवत्ता और ऊर्जा संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं।


फोटो और चित्रों का चयन — दीवारों पर ऐसे चित्र लगाएँ जो सुखद, प्रेरणादायक और प्रेममय हों — जैसे प्रकृति, प्रेमी जोड़े, फूल या सकारात्मक उद्धरण। युद्ध, उदासी, या अकेलेपन को दर्शाने वाले चित्र शयनकक्ष में न लगाएँ क्योंकि ये अवचेतन मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।


विशेष वास्तु संकेत


"नाग, रोग, शौष और असुर पद" पर बिस्तर नहीं होना चाहिए। ये पद नकारात्मक ऊर्जा, बीमारी, शक्ति क्षीणता और मानसिक अशांति को दर्शाते हैं। वहाँ सोने से जीवन में बाधाएँ, तनाव और अस्वस्थता आ सकती हैं।


वास्तुशास्त्र केवल एक प्राचीन परंपरा नहीं, बल्कि मन और शरीर के संतुलन को बनाए रखने का विज्ञान है। सही शयनकक्ष, एक सकारात्मक जीवन की ओर पहला कदम हो सकता है।

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