गुवाहाटी। अंबुबासी मेले के उपलक्ष में असम पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित सोनाराम फील्ड में आयोजित श्री देवी भागवत कथा के दूसरे दिन आज भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। व्यासपीठ पर विराजमान ज्ञान ज्योति जागृति संस्थान के श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अदिति भारती ने आज मधु कैटभ वध प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि हमारी मन में बसे राग और द्वेष यह दोनों मधु कैटभ सदृश्य है। हम इनके चक्कर में पड़ कर यह भूल जाते हैं कि सिकंदर भी दुनिया से गया तो खाली हाथ गया। कुछ भी साथ नहीं ले गया और हम राग द्वेष के भ्रम में पड़कर सब कुछ भूल जाते हैं। हमने मानव जन्म को यूं ही गंवा दिया। जीवन भर भटकते रहे फिर भी प्रभु को न पा सके। अगर जीवन में शांति को प्राप्त करना है तो मधु कैटभ रूपी राग और द्वेष का वध करना होगा। साध्वी जी ने आज मधु कैटभ वध प्रसंग मे बोलते हुए कहा कि मधु कैटभ ने भगवान विष्णु से युद्ध के समय वरदान मांगने को कहा। भगवान विष्णु ने स्थिति को भांपते हुए मधु कैटभ से यह वरदान मांगा कि तुम्हारी मृत्यु मेरे ही हाथों से हो। मधु कैटभ ने भगवान विष्णु से कहा कि ठीक है यह वरदान हम तुम्हें देते हैं मगर हमारी मृत्यु उसी जगह होगी जहां जल का निवास न हो। सारी पृथ्वी जल से आच्छादित है अतः हमारी मृत्यु संभव नहीं हो सकेगी। तब भगवान विष्णु ने अपने आकार को इतना बड़ा किया कि वहां से पृथ्वी का जल दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा था। भगवान विष्णु ने मधु कैटभ को पकड़ कर अपनी हथेली में रखकर उनके सर को अपनी जंघा पर लिटा कर सुदर्शन चक्र से उनका वध किया। आज की कथा श्रवण के लिए असम पर्यटन निगम के अध्यक्ष जयंत मल बरूवा, नुमलीगढ रिफाइनरी के निदेशक राजकुमार शर्मा, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्वामी आदित्यानंद जी के अलावा मारवाड़ी सम्मेलन कामरूप शाखा के सदस्य, अग्रवाल सखी संस्था की सदस्याये, न्यूज़ लाइव के वरिष्ठ पत्रकार भास्कर भुइयां के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इससे पहले साध्वी श्री का माल्यार्पण करके स्वागत किया गया। इस कार्य का संचालन आचार्य विवेक मिश्र ने बड़ी कुशलता से किया। उल्लेखनीय है कि सप्त दिवसीय इस कथा का समापन आगामी 28 जून को होगा।
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