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अंधविश्वास : मृतक की आत्मा को लेने अस्पताल पहुंचे ग्रामीण


कोटा। मरने के बाद इंसान की आत्मा अपने ही परिजनों को परेशान करती है। आत्मा को मनाने के लिए परिजनों को उसे घर में जगह देनी पड़ती है अन्यथा मृतक की आत्मा परिजनों को परेशान करती है। ऐसा ही अंधविश्वास आज भी समाज में व्याप्त है। अंधविश्वास में जकड़े लोग अपने परिजनों की आत्मा को लेने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। प्रशासन की आंखों के नीचे कथित पूजा-पाठ और तांत्रिक क्रियाएं सम्पन्न कर आत्मा को ले जाने का दावा करते हैं। ऐसे ही मामले कोटा के सरकारी एमबीएस अस्पताल में देखने को मिले।

अस्पताल में ग्रामीण अपने मृतक परिजन की आत्मा को लेने पहुंचे। पूजा-पाठ हुआ, महिलाओं ने गीत गाए, आत्मा को प्रसन्न किया गया जिसके बाद आत्मा को ज्योति के रूप में लेकर परिजन अपने घर की ओर चले गए। अंधविश्वास का यह खेल करीब आधा घंटे तक चलता रहा। अस्पताल  में तमाशबीन लोगों का भीड़ लग गई। ग्रामीणों ने बताया कि बूंदी के हिंडोली कस्बे के ग्राम चेता निवासी एक साल के बालक की अस्पताल में दो साल पहले इलाज के दौरान मौत हो गई थी। बालक की मौत के बाद परिवार के सदस्यों की तबीयत खराब रहने लगी। घर में अशांति होने पर परिजनों ने भोपे (देवता) की शरण ली। भोपे ने मृतक की आत्मा अस्पताल में भटकने की बात बताते हुए अस्पताल से आत्मा लाने की सलाह दी। इसी के चलते करीब दो दर्जन महिला-पुरुष मृतक की आत्मा लेने एमबीएस अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के पुराने आउटडोर के पास परिजनों ने बाकायदा पूजा-अर्चना की। इस दौरान पुलिसकर्मी व अस्पताल के सुरक्षा गार्ड भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाया और अस्पताल के अंदर जाने से मना कर दिया। इधर महिलाएं बाहर आत्मा की शांति के लिए गीत गाती रहीं। करीब आधा घंटे तक परिजन अंधविस्वास के फेर में उलझे रहे। बाद में मृतक की आत्मा लेकर चले गए। विज्ञान के युग में अंधविश्वास की बातें हमारे समाज में कई तरह के सवाल खड़े करती है। ऐसा लगता है आज में गावों में शिक्षा और समझ की दरकार है। (हि. स.)

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