कोलकाता। केरल, पंजाब और महाराष्ट्र के बाद अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने भी संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया है। सोमवार को राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था जिसमें वाम एवं कांग्रेस विधायकों ने सर्वसम्मति दी। भाजपा विधायकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया जबकि वाम एवं कांग्रेस ने इस प्रस्ताव के कुछ मामलों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा।
विधानसभा में यह प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने पेश किया जिसका वाम एवं कांग्रेस की ओर से समर्थन किया गया। इसके बाद बहुमत से यह प्रस्ताव पारित किया गया। भारतीय जनता पार्टी के विधायक इस प्रस्ताव के खिलाफ रहे। बाकी सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल, विपक्षी माकपा और कांग्रेस एकजुट हुए। इस प्रस्ताव में लिखा गया है कि नागरिकता अधिनियम में नागरिकता देने का निर्णय धर्म के आधार पर लिया जाएगा जो भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
दरअसल नागरिकता अधिनियम को लेकर ममता बनर्जी लगातार आंदोलन कर रही हैं। फरवरी महीने के लिए भी तृणमूल सुप्रीमो ने आंदोलन की रणनीति बनाई है। उसके मुताबिक राज्य भर में पार्टी की ओर से विरोध प्रदर्शन होगा। इस बीच विपक्षी माकपा और कांग्रेस आरोप लगा रहे थे कि अगर ममता सच में नागरिकता अधिनियम के खिलाफ हैं तो उन्हें इस अधिनियम के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना चाहिए। उसके बाद ही जनवरी महीने के मध्य में मुख्यमंत्री ने इसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी थी। उसके बाद सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें इसे पारित किया गया।(हि.स.)
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