लखीमपुर से राजेश राठी और ओमप्रकाश तिवारी की संयुक्त रिपोर्ट
असम नरेंद्र मोदी और सर्वानंद सोनोवाल की पैतृक संपत्ति नहीं है : आसू
लखीमपुर।लखीमपुर शहर के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के खेलपथार मैं आज दोपहर 11:30 बजे अखिल असम छात्र संगठन समेत 30 जन जातीय संगठनों ने नागरिकता संशोधन कानून "का" के विरुद्ध गन हुंकार भरते हुए कहा कि असम नरेंद्र मोदी और सर्वानंद सोनोवाल की पैतृक संपत्ति नहीं है जहां पर वह असम तथा असम वासियों की जाति, माटी, भाषा, कला, संस्कृति को विध्वंस कर इस नागरिकता संशोधन कानून 2019 को लागू करें । अखिल असम छात्र संगठन एवं 30 जन जातीय संगठनों तथा असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद के सहयोग से आयोजित इस गन हुंकार कार्यक्रम में केंद्रीय समिति से आए आसू के अध्यक्ष दीपांकर कुमार नाथ, उपाध्यक्ष लुरीन ज्योति गोगोई, असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद के केंद्रीय समिति के अध्यक्ष राणा प्रताप बरुआ, उपाध्यक्ष हेमचंद्र गोस्वामी, के अलावा आसू के चितरंजन बसुमहतारी, कृष्णो दास, धनमोनी दत्त, असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद के सौरव दास, ताई असम छात्र संगठन के मनोज गोगोई, नॉर्थ लखीमपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष सैलेन बरुआ, गायक बिपिन चवादोंग के अलावा कई छात्र नेताओं ने इस नागरिक संशोधन कानून के विरुद्ध गर्जना कर हुंकार भरते हुए कहा कि वह किसी भी कीमत पर इस जाति विनाशक नागरिक संशोधन कानून 2019 को नहीं मानेंगे। अपने भाषण में उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार ने जिस परिकल्पित रूप से गणतांत्रिक आंदोलन कर रहे असम के पांच युवकों की निर्मम हत्या की है उसका जवाब असम वासी अति शीघ्र सत्ताधारी सरकार को देंगे । उन्होंने कहा कि असम में ना सर्वानंद सोनवाल की दादागिरी चलेगी और ना ही हेमंत विश्व शर्मा की अगर असम में दादागिरी चलेगी तो मात्र असमिया की ही चलेगी । उन्होंने कहा कि इस कानून के आने से असम के मूल बाशिंदों को आने वाले समय में द्वितीय श्रेणी के नागरिक की हैसियत से असम में ही रहना पड़ेगा जिसे हम स्वाभिमानी असम वासी कतई स्वीकार नहीं करने वाले हैं ।
उन्होंने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक कलंकित राजनेता बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल एक ऐसे राजनेता है जो अपनी मातृभूमि की भाषा, कला, संस्कृति को विध्वंस कर बांग्लादेशियों के सहारे दोबारा मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं जिसे असम वासी कतई पूरा नहीं होने देंगे । उन्होंने कहा कि इस जाति बिध्वंशी कानून के माध्यम से सरकार जाति के नाम पर भाई भाई को विभाजन करने का षड्यंत्र रच कर विभाजित करने का प्रयत्न कर रही है । लेकिन शायद वह यह भूल चुकी है कि यह शंकर आज़ान का देश है जहां पर धर्म जाति को दरकिनार कर हम सदियों से यहां पर आपसी भाईचारे के साथ रह रहे हैं । उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से सन 1971 से 2014 तक अर्थात 43 वर्षों से अवैध रूप से रह रहे हिंदू बांग्लादेशियों को सरकार नागरिकता देने जा रही है जिसका असम का बच्चा-बच्चा विरोध करते हुए आज सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर हो रहा है । उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के माध्यम से यह क्या गारंटी है कि कोई भी मुसलमान चाहे वह हुसैन हो या अली हो वह अपना धर्म परिवर्तन कर अपने आप को धर्म के नाम पर प्रताड़ित बताकर असम में शाह या फिर सरकार की उपाधि धारण कर नागरिकता नहीं लेगा । उन्होंने मोदी को झूठा करार देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने असम वासियों को आश्वासन दिया था कि 15 मई को उनकी जैसे ही सरकार बनती है उसके दूसरे दिन अर्थात 16 मई को असम से बांग्लादेशियों को बोरी बिस्तर समेटकर जाना ही पड़ेगा लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सत्ता हासिल करने के पश्चात क्या हुआ उनके द्वारा दिए गए आश्वासनों का । मोदी बांग्लादेशियों को खदेड़ने की वजह असम में और अधिक बांग्लादेशियों को लाकर उन्हें नागरिकता देने के लिए जो कानून लेकर आए हैं ऐसा असम वासी कतई होने नहीं देंगे । उन्होंने कहा कि असम की भूमि पर अब और अधिक बांग्लादेशियों का बोझा नहीं पड़ने देंगे उसके लिए चाहे उन्हें कितना भी लंबा संग्राम ही क्यों ना करना पड़े वह भी करेंगे ।
असम का बच्चा-बच्चा अपने शरीर में संचालित रक्त की आखिरी बूंद तक संघर्ष करेगा उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राणों की आहुतियां ही क्यों ना देनी पड़े वह भी हंसते हंसते अपनी मातृभूमि की आन बान और शान को बचाने के लिए देने में पीछे नहीं हटेंगे । लेकिन किसी भी कीमत पर असम आंदोलन में शहीद हुए 855 शहीदों की शहादत को हम यूं ही बेकार नहीं जाने देंगे । उन्होंने कहा कि हेमंत विश्व शर्मा के अनुसार मात्र चार से पांच लाख बांग्लादेशियों को ही नागरिकता दी जाएगी लेकिन चार से पांच लाख की संख्या तो दूर की बात है हम अपने शरीर में संचालित रक्त की आखरी बूंद तक एक भी बांग्लादेशी नागरिकों को नागरिकता नहीं देने देंगे । इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अमित शाह इस जाति विनाशक कानून को रद्द करने के लिए 1 इंच भी पीछे नहीं हटने की जो बात कही है उसके जवाब में लुरिनज्योति गोगोई ने हुंकार भरते हुए कहा कि असम वासी सदैव स्वाभिमानी थे स्वाभिमानी है और आगे भी अपने स्वाभिमान के साथ ही जिएंगे इसलिए वह अपनी मातृभूमि की आन बान और शान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता किसी भी कीमत पर नहीं करने वाले । अगर सरकार 1 इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है तो अपनी जाति, माटी, भाषा, कला और संस्कृति की रक्षा के लिए असम का प्रत्येक बच्चा बच्चा इस जाति विनाशक नागरिकता संशोधन कानून "का" के विरुद्ध किए जा रहे आंदोलन से तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार इस कानून को रद्द नहीं कर देती उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राणों की आहुतियां ही क्यों न देनी पड़े ।
असम का बच्चा-बच्चा अपने शरीर में संचालित रक्त की आखिरी बूंद तक संघर्ष करेगा उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राणों की आहुतियां ही क्यों ना देनी पड़े वह भी हंसते हंसते अपनी मातृभूमि की आन बान और शान को बचाने के लिए देने में पीछे नहीं हटेंगे । लेकिन किसी भी कीमत पर असम आंदोलन में शहीद हुए 855 शहीदों की शहादत को हम यूं ही बेकार नहीं जाने देंगे । उन्होंने कहा कि हेमंत विश्व शर्मा के अनुसार मात्र चार से पांच लाख बांग्लादेशियों को ही नागरिकता दी जाएगी लेकिन चार से पांच लाख की संख्या तो दूर की बात है हम अपने शरीर में संचालित रक्त की आखरी बूंद तक एक भी बांग्लादेशी नागरिकों को नागरिकता नहीं देने देंगे । इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अमित शाह इस जाति विनाशक कानून को रद्द करने के लिए 1 इंच भी पीछे नहीं हटने की जो बात कही है उसके जवाब में लुरिनज्योति गोगोई ने हुंकार भरते हुए कहा कि असम वासी सदैव स्वाभिमानी थे स्वाभिमानी है और आगे भी अपने स्वाभिमान के साथ ही जिएंगे इसलिए वह अपनी मातृभूमि की आन बान और शान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता किसी भी कीमत पर नहीं करने वाले । अगर सरकार 1 इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है तो अपनी जाति, माटी, भाषा, कला और संस्कृति की रक्षा के लिए असम का प्रत्येक बच्चा बच्चा इस जाति विनाशक नागरिकता संशोधन कानून "का" के विरुद्ध किए जा रहे आंदोलन से तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार इस कानून को रद्द नहीं कर देती उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राणों की आहुतियां ही क्यों न देनी पड़े ।
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