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पूर्वोत्तर का सितारा लखीमपुर के पद्मश्री उद्धव भराली


                 राजेश राठी और ओमप्रकाश तिवारी

                    दिया 159 आविष्कारों को जन्म

भारत सरकार द्वारा पदम श्री अवार्ड - 2019 के सम्मान से सम्मानित उद्धव भराली असम के लखिमपुर जिले के एक विज्ञानी और अभियन्ता है। सन 2012 के जुलाई महीने के 5 तारीख को भराली को उनके द्वारा आविष्कृत अनार के बीज निकालने वाले यंत्र के लिए नासा द्वारा अयोजित क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता में दूसरे स्थान के लिये निर्वाचित किया गया। उद्धव के पास 159 पंजीकृत आविष्कार है। 

उद्धव भराली का जन्म 7 अप्रैल 1962 को एक साधारण व्यवसायी के घर लखिमपुर जिले के उत्तर लखीमपुर नगर में हुआ था। उन्होने लखिमपुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से स्कूली शिक्षा समाप्त की। स्कूल में उनको दो बार डबल प्रमोशन मिला था। स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें कई बार विद्यालय में वर्ग कक्षा शिक्षक द्वारा दंडित भी किया जाता था तथा उन्हें वर्ग कक्ष से बाहर भी खड़ा होना पड़ता था क्योंकि वे अपने गणित के शिक्षक से कभी-कभी काफी कठिन सवाल पूछ दिया करते थे । आठवीं कक्षा में पढ़ते समय वे कक्षा 11वी और 12वी कक्षा के सबसे कठिन गणित के सवालों को आसानी पूर्वक हल कर लिया करते थे। उन्होने जोरहाट अभियान्त्रिक महाविद्यालय से यान्त्रिक अभियान्त्रिक विद्या के अध्ययन के लिए नामांकन करवाया । पर पैसो के कमी के कारण उन्हे बीच में ही छोड़ना पडा । फिर वे चेन्नईके इन्स्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियर्स गए, लेकिन पिता के मृत्यु के कारण उन्हे वो भी आधे में हीं छोड़ना पड़ा।

घर की आर्थिक दूरव्यवस्था और बैंक का ऋण दूर करने के लिए भराली ने 1988 में कम खर्चे में एक पोलिथिन बनाने वाली मशीन बनाई । उसके बाद ही उद्धव ने एक के बाद एक कई अन्वेषण किए तथा उन्हें अन्वेषण करने का नशा लग चुका था । उन्होंने इस प्रकार के अन्वेषण को एक पेशे के रूप में ले लिया जिसके कारण लोग उन पर हंसने लगे कि क्या लखीमपुर जैसे पिछड़े इलाके से यह सब कुछ कर पाना संभव होगा । इतना ही नहीं लोग यहां तक कहने लगे कि ऐसे बेकार के अन्वेषण कर भराली अपने घर का बचा कुचा सारा सामान यूं ही खो देगा । लेकिन भराली जो इस प्रकार के अन्वेषण को अपने जीवन का पेशा बना चुके थे और वह किसी भी कीमत पर अपने पेशे से पीछे नहीं हटे जिसके फलस्वरूप उन्होंने सन 2005 में चावल को आटा बनाने वाले असमिया ढेकी नामक यंत्र का आविष्कार किया जिसके पश्चात वह धीरे-धीरे विख्यात होने लगे और आज वह अपने जीवन काल में आई कठिन से कठिन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते करते एक विश्वविख्यात वैज्ञानिक के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित करने में सफलता अर्जित कर पाने में सक्षम हुए हैं ।
। उनके अन्वेषण ग्राम्य जीवन और व्यवसाय के लिए बहुत लाभदायक रहे। लेकिन इन्हे आगे बढाने वाला कोई ना था। 2005 में अहमदाबाद के नेशनल इनोवेशन फाउन्डेशन की नजर उद्धव पर पड़ी। 2006 में यह बात सिद्ध हो गई कि उनका अनार के बीज़ निकालने वाला यन्त्र विश्व में अनोखा है और अमरीका की संस्था नासा के क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता में उनको द्वितीय स्थान मिला। उनके नाम 150 से ज्यादा पंजीकृत अन्वेषण हैं। उनके अन्य कुछ उल्लेखनीय यन्त्र है सुपारी व अदरक के छिल्के निकालने वाला यंत्र , विकलांगों के सौच कार्य के लिए कुर्सी, दोनों हाथ ना रहने पर खाना खाने के यंत्र, ढेकी, कम कीमत पर चाय उद्योग स्थापित करने की मशीन, इत्यादि सैकड़ों जनहित के लिए उपयोगी उपकरण उल्लेखनीय हैं । 
बी बी सी द्वारा 30 अक्टूबर 2017 को उद्धव भराली को भारत के कभी न रुकने वाले आविष्कारक की उपाधि दी गई तथा उन्हें ""जुगाड़ के राजा " की संज्ञा दी गई। क्योंकि इनके आविष्कार सस्ते तथा आम लोगों के उपयोग के लायक होते हैं। इन्होंने 159 नए आविष्कारों को जन्म दिया है। उद्धव भराली 
को असम कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सन 2014 में हॉनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया इसके पश्चात असम काजीरंगा विश्वविद्यालय द्वारा भी उन्हें ऑनरी पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।

अपने आविष्कारों के कारण इनके द्वारा प्राप्त सम्मान इस प्रकार हैं 
1) मेरीटोरियस इंवेंशन अवार्ड - 2010 भारत सरकार के 
एन आर डी सी द्वारा 
2) सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट - 2010 ,भारत सरकार के एनआर डी सी द्वारा 
3) प्रयुक्ति रत्न के उपाधि -2010 , असम साहित्य सभा द्वारा 
4) शिल्पा रत्न की उपाधि -2012, असम सत्र महासभा द्वारा 
5) राष्ट्रीय एकता सम्मान - 2013 , भारत सरकार द्वारा
6) एन आई सी टी परफेक्ट - 10 अवार्ड ,ए बी पी मीडिया ग्रुप तथा टेलीग्राफ द्वारा
7) मुख्यमंत्री सर्व श्रेष्ठ सम्मान -2013, असम सरकार द्वारा
8) ई आर डी एफ विशिष्टता अवार्ड 2014
9) प्रतिदिन टाइम्स मीडिया एचीवर अवार्ड 2015
10) कमलाकांत सईकिया नेशनल अवॉर्ड 2016
11) असम गौरव अवार्ड 2016
12) रोमोनी गौरव अवार्ड 2016 ,अ टा सू आसाम द्वारा 
13) स्वयं सिद्ध श्री राष्ट्रीय स्वयं सिद्ध सम्मान -2017 जे एस पी एल द्वारा 
14) नासा द्वारा अयोजित क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता- 2012 में दूसरे स्थान का सम्मान 
15) नासा द्वारा अयोजित क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता -2013 सम्मान विजेता, मानसिक रूप से विकृत लोगों के लिए डेटेन्सन कुर्सी बनाने हेतु 
16) नासा द्वारा अयोजित क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन प्रतियोगिता- 2014 सम्मान , बिना हाथ के लोगों को खाना खाने की मशीन बनाने हेतु 
17) विश्व तकनीकी अवार्ड 2012 के विजेता , कम लागत में छोटे टी प्लांट के आविष्कार हेतु।
18) पायोनियर अवार्ड - 2017
19) एक्सीलेंस अवॉर्ड - 2018 ,महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय द्वारा
20) पदम श्री अवार्ड - 2019, भारत सरकार द्वारा

एक साक्षात्कार के दौरान भारत सरकार द्वारा पदम श्री अवार्ड विजेता उद्धव भरारी ने बताया कि अपने सारे आविष्कारों को उन्होंने पेटेंट ना बनाकर आम जनता के हित में खुला छोड़ने का निर्णय किया है । उन्होंने बताया कि भारत के सभी आईआईटी इंजीनियरिंग कॉलेजों के वे भिजिटिंग प्रोफेसर है तथा देश के प्रत्येक आई टी आई इंजीनियरिंग कॉलेज इन्हें आदर्श आविष्कारक मानते हुए उनके महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उत्साहित करने के लिए इन्हें आमंत्रित करते हैं। अपने जीवन के प्रारंभ में पैसे के अभाव से जूझ रहे उद्धव भराली एक प्रसिद्ध आविष्कारक होने के पश्चात समाज के लोगों के कल्याण में लगे हुए हैं । उन्होंने एक महिला आश्रम बना रखा है जहां अपने घर से बेधर की गई महिलाओं को आश्रय मिलता है। कुछ लोग अपने घर के बुजुर्गों को बोझ समझकर देखभाल नहीं करते फलतः वे घर से बाहर निकल जाती हैं और कुछ परिस्थिति और अभाव बस घर छोड़कर बाहर निकल आतीं हैं । लखीमपुर में इस प्रकार के मातृशक्ति का एकमात्र आश्रय है यह आश्रम। उनका रहना ,खाना ,दवा , इत्यादि की व्यवस्था कर एक भ्रातृत्व मय परिवेश की सृष्टि उद्धव भरारी द्वारा किया जाता है साक्षात्कार के दिन भी इस आश्रम में सात अलग-अलग परिवारों की महिलाएं थीं जिन्हें अपने परिवार वालों ने बोझ समझकर त्याग दिया था ।इसके अलावे उद्धव भराली द्वारा एक अन्नपूर्णा योजना चलाई जाती है जिसके तहत लखीमपुर के के बी रोड स्थित उनके निवास के स्थान के आसपास हर गरीब के घर में खाना बनना अनिवार्य होता है ।इस कार्यक्रम के तहत जिस धर में खाना बनाने के लिए राशन नही होता वे पास के एक राशन की दुकान से चावल, दाल ,नमक, तेल इत्यादि आवश्यक सामग्री लेकर जाता है और उसके पैसे का भुगतान उद्धव भराली करते हैं ।लखीमपुर शहर के बाहर जिले के आसपास के गरीब लोग अगर इलाज के लिए लखीमपुर आते हैं तो लखीमपुर सरकारी चिकित्सालय में उनका इलाज तो मुफ्त हो जाता है परंतु अगर किसी कारण बस उन्हें रात में रुकना पड़े तो उन गरीब परिवार के मातृशक्ति के लिए एकमात्र आश्रय उद्धव भराली का आश्रम होता है । जहां उन्हें निशुल्क रहना, खाने के अलावे अगर चिकित्सा के लिए सरकारी अस्पताल के बाहर किसी तरह की जांच करवानी हो तो उस जांच का खर्च की व्यवस्था उद्धव भराली के आश्रम द्वारा किया जाता है। इसके अलावे उनके जानकारी में अगर किसी परिवार के पास कपड़ा , कंबल इत्यादि का अभाव हो तो उसकी पूर्ति भी उद्धव पराली द्वारा की जाती है अगर लखीमपुर सरकारी अस्पताल में कोई लावारिस शव प्राप्त होता है तो उसके अंतिम संस्कार का खर्च भी उद्धव भराली उठाते हैं। इसके अलावा गरीब परिवारों के कई मेधावी छात्रों को की उच्च शिक्षा का खर्च भी उद्धव भराली द्वारा वाहन किया जाता है। इस कड़ी में उन्होंने बताया कि आज भी 11 छात्र की पढ़ाई के खर्च का वाहन उद्धव भराली उठा रहे हैं । लंगड़े लोगों को चलने के लिए वाकर , लकवे से ग्रस्त लोगों के लिए बिस्तर, बिना हाथ के लोगों के लिए खाने खाने की मशीन, अत्यंत बुजुर्ग लोगों अथवा विकलांग लोगों के लिए पिशाब पैखाना करने तथा उस उसे स्वतः साफ करने की मशीन , इत्यादि आविष्कारों का राष्ट्रीय स्तर पर लोगों ने सराहना की है। उल्लेखनीय है कि लकवे से ग्रस्त लोगों के लिए बिस्तर, बिना हाथ के लोगों के लिए खाने खाने की मशीन, अत्यंत बुजुर्ग लोगों अथवा विकलांग लोगों के लिए पिशाब पैखाना करने तथा उस उसे स्वतः साफ करने की मशीन इत्यादि आविष्कार से निर्मित वस्तुओं की हिंदुस्तान में कहीं भी जरूरत हो उस मांग को पूरा करने का एकमात्र जरिया है लखीमपुर के संतान उद्धव भराली।

पद्मश्री सम्मानित उद्धव भराली का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति यह सोचता है कि उसे ऊंचे ऊंचे ख्वाब देखने का अधिकार नहीं है तो उनके हिसाब से वह व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी फतेह हासिल नहीं कर पाएगा । क्योंकि  उन्होंने खुद अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने जीवन काल में आई विकट से विकट परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया और फलस्वरूप आज वह इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं । इसलिए पद्मश्री उद्धव भराली के अनुसार हर व्यक्ति को ऊंचे ऊंचे ख्वाब मात्र देखना ही नहीं चाहिए बल्कि उसे अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए विकट से विकट परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए अपने लक्ष्य की ओर सदैव आगे बढ़ना चाहिए तभी कही जाकर वह व्यक्ति भविष्य में कुछ कर पाएगा ।

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