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आईपीएफटी ने फल एवं सब्जियों को कीटाणु मुक्त करने के लिए दो नए कीटाणुनाशक स्प्रे विकसित किये


नई दिल्ली। पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के समय में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन व पेट्रोरसायन विभाग के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त संस्थान कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने सतह और फल एवं सब्जियों को कीटाणु मुक्त करने के लिए दो नए कीटाणुनाशक स्प्रे सफलतापूर्वक विकसित किए हैं। 

दरवाजों के हैंडल, कुर्सियों पर हाथ रखने वाले स्थान, कंप्यूटर के साथ इस्तेमाल होने वाले की-बोर्ड और माउस इत्यादि से सूक्ष्म विषाणु और जीवाणु के संक्रमण अप्रत्यक्ष संपर्क के जरिए भी फैल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए आईपीएफटी ने अल्कोहल आधारित कीटाणु नाशक स्प्रे विकसित किया है जो वनस्पतिक आधारित विषाणु और जीवाणु रोधी है और यह सूक्ष्म जीवाणुओं-विषाणुओं द्वारा विभिन्न संक्रामक रोगों के नियंत्रण में प्रभावी उपाय हो सकता है। यह स्प्रे तेजी से हवा में उड़ जाता है और किसी सतह, दरवाजे इत्यादि पर स्प्रे करने के बाद इसके धब्बे, महक या नमी नहीं छूटती। 

आईपीएफटी ने सब्जियों तथा फलों पर छूट जाने वाले कीटनाशकों के बचे हुए दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए भी कीटाणुनाशक स्प्रे विकसित किया है। फल एवं सब्जियां दैनिक पोषण के लिए व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल की जाती हैं। कई फलों और सब्जियों पर इस्तेमाल होने वाले कीटाणुनाशक या रोग नाशी दवाओं का असर लंबे समय तक बना रहता है जिसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम हो सकता है। फल और सब्जियों को मानव उपयोग के लिए शत प्रतिशत सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से ही आईपीएफटी ने जल आधारित सूत्रीकरण विकसित किया है। इसका उपयोग बेहद आसान है। इस स्प्रे को पानी में मिलाकर उसमें 15 से 20 मिनट के लिए फल अथवा सब्जी को छोड़ देने के उपरांत उसे स्वच्छ पानी से साफ कर देना होता है। इस सामान्य प्रक्रिया को अपनाने के बाद फल एवं सब्जियां पूरी तरह से रसायन मुक्त हो जाती हैं।

हरियाणा के गुरुग्राम स्थित आईपीएफटी की स्थापना मई 1991 में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन तथा पेट्रोरसायन विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी। तब से यह संस्थान सुरक्षित, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल कीटनाशकों का विकास करता रहा है। आईपीएफटी के चार प्रशासनिक संभाग हैं, जिसमें शुद्धीकरण तकनीकी विभाग, जैव विज्ञान विभाग, विश्लेषण विज्ञान विभाग और प्रक्रिया विकास विभाग शामिल हैं। (हि.स.)
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