गुवाहाटी। गणित को आगे बढ़ाने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। अपनी खोज या शोध को केवल चोरी हो जाने के डर से छुपाना उचित नहीं है। जाने-माने गणितज्ञ अखिल भारत रामानुजन क्लब के कार्यकारी सदस्य डॉ राजेश कुमार ठाकुर ने असम के उत्साहित गणित शिक्षक के एक समूह द्वारा आयोजित एक वेब संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में भाग लेते हुए यह बातें कहीं। गणित पर रिकॉर्ड 1525 शोध पत्र प्रकाशित करने वाले प्रसिद्ध हंगेरियन गणितज्ञ पाल एडास का जिक्र करते हुए कहा कि एड्स ने एक भी शोध पत्र अकेले नहीं लिखा। बल्कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लिखा। यदि वे अकेले लिखते तो शायद अनेक शोध पत्र की संख्या इतनी अधिक नहीं हो पाती यानी सहकारिता के कारण ही गणित का भला हुआ। गणित के क्षेत्र में भारत के पिछड़ेपन के लिए अनेक सहकार्य की कमी को दोषी ठहराते हुए ठाकुर कहा कि यहां लोग शोध विषय चोरी हो जाने के डर से अपने कार्य को छिपाते हैं। यदि शोध पर अधिक से अधिक लोगों का साथ चर्चा हो तो उस को निखारने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।गणित में असम के योगदान की चर्चा करते हुए डॉ ठाकुर ने बताया कि कोच राजा महाराजा नरनारायण के निर्देश पर बकुल कायस्थ ने लीलावती का अनुवाद कर काफी महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के जाने-माने गणिततज्ञ डॉक्टर दिलीप दत्त, डॉक्टर ज्योति प्रसाद मेथी व खनिंद्र चंद्र चौधरी एवं डॉ दिलीप कुमार शर्मा के योगदान व उपलब्धियों की चर्चा की। वेबीनार में उन्होंने आनंददायक तरीके से गणीत कैसे पढाई जा सकती है इसके भी कुछ टिप्स दिये, जो प्रतिभागियों के लिये काफी उपयोगी साबित हो सकते है। डॉ ठाकुर ने राज्य के उत्साही गणित शिक्षकों से अपने ब्लॉग एवम लेख आदि स्थानीय भाषा में लिखने का अनुरोध किया ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके। शिक्षक राजीव रंजन धर के संयोजन में आयोजित वेबीनार में राज्य के 19 जिलों के 200 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। अध्यापिका मानसी दास के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संपन्न हुई वेबगोष्टी के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
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