गुवाहाटी। सर्वानंद सोनोवाल (जन्म 31 अक्टूबर 1962) असम के राजनेता और असम के मुख्यमंत्री के साथ ही भारत सरकार के केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। उन्हें 2016 में असम का मुख्यमंत्री चुना गया था।
वे भाजपा के सदस्य के रूप में असम के लखीमपुर लोकसभा क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे पहले भाजपा असम के लिए अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रहे हैं। सोनोवाल 1992 से 1999 तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के अध्यक्ष रहे। जनवरी 2011 तक वे असम गण परिषद (अगप) राजनीतिक दल के सदस्य रहे लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गए। मई 2016 में वे माजुली से असम विधानसभा के लिए चुने गए और असम के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान संभाली।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सर्वानंद सोनोवाल का जन्म 31 अक्टूबर, 1962 को असम के डिब्रूगढ़ जिले में स्थित मुलुक गाव में जीबेश्वर सोनोवाल और दिनेश्वरी सोनोवाल के घर हुआ था।
राजनीतिक करियर
सर्वानंद सोनोवाल 1992 से 1999 तक असम की सबसे पुरानी छात्र संस्था ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे असम गण परिषद (अगप) के सदस्य बन गए। 2001 में वे असम के मोरान निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। 2004 में वे डिब्रूगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य बने और 2011 में भाजपा में शामिल होने से पहले 2009 तक ऐसे ही रहे।
लोकसभा के लिए 2014 के आम चुनाव में उन्हें भाजपा द्वारा राज्य के 16वें लोकसभा चुनाव में असम के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और उसी वर्ष उन्हें लखीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के सांसद के रूप में भी चुना गया था, तब उन्हें केंद्र में मोदी सरकार के तहत भारत सरकार के केंद्रीय स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26 मई, 2014 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में सर्वानंद सोनोवाल को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ दिलाई।
उन्हें 2016 के असम विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुना गया था। 16 मई, 2016 को सर्वानंद सोनोवाल ने माजुली निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता।
जीवनी
सर्वानंद सोनोवाल ने अगप के भीतर मचे असंतोष के चलते सभी कार्यकारी पदों से इस्तीफा देते हुए पार्टी छोड़ दी थी। 08 फरवरी, 2011 को सोनोवाल ने भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरुण गांधी, विजय गोयल, बिजया चक्रवर्ती और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दत्ता जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गये थे। उन्हें तुरंत भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया और बाद में भाजपा इकाई के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में, नए अध्यक्ष के रूप में राज्य का नेतृत्व करने के लिए अपने वर्तमान कार्यभार से पहले सौंपा गया था। 28 जनवरी, 2016 को भाजपा संसदीय बोर्ड ने सर्वानंद सोनोवाल को असम का भाजपा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। वे अविवाहित हैं।
कला और संस्कृति
पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल के कार्यकाल में वार्षिक गुवाहाटी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हुई थी। इसका आयोजन राज्य सरकार के स्वामित्व वाली ज्योति चित्रावन (फिल्म स्टूडियो) सोसायटी द्वारा डॉ भूपेन हजारिका क्षेत्रीय राजकीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के सहयोग से किया जाता है। पहला संस्करण अक्टूबर 2018 में आयोजित किया गया था। दूसरा, अक्टूबर-नवम्बर 2019 में। तीसरा संस्करण वर्तमान कोरोना महामारी के कारण 2021 की शुरुआत में स्थगित कर दिया गया।
आईएमडीटी अधिनियम को हटाने में निभाई अहम भूमिका
बांग्लादेश से असम में बड़े पैमाने पर पलायन की समस्या का सामना करते हुए सरकार ने विदेशी नागरिकों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए कानून बनाने की कोशिश की। अंततः भारत सरकार और अखिल असम छात्र संघ (आसू) के बीच दशक भर के विदेशी विरोधी आंदोलन को समाप्त करने के लिए हुए असम समझौते के बाद अवैध प्रवासियों (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम, 1983 (आईएमडीटी अधिनियम) अस्तित्व में आया।
आईएमडीटी अधिनियम भारतीय संसद द्वारा अवैध आप्रवासियों (बांग्लादेश से) का पता लगाने और उन्हें असम से निष्कासित करने के लिए पारित एक उपकरण है। जबकि आईएमडीटी एक्ट सिर्फ असम में संचालित होता था, विदेशी अधिनियम (1946) देश के बाकी हिस्सों पर लागू होता है। यह उन बांग्लादेशी नागरिकों पर लागू होता है जो 25 मार्च, 1971 को या उसके बाद असम में बस गए थे। अधिनियम के तहत संदिग्ध अवैध विदेशी की नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता पर होती है, अक्सर पुलिस की होती है। दूसरी ओर विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जिम्मेदारी विदेशी होने के संदेह में व्यक्ति की है।
सोनोवाल ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। 12 जुलाई, 2005 के अपने फैसले से अदालत ने अवैध प्रवासियों (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) अधिनियम, 1983 को असंवैधानिक करार दिया और बांग्लादेशी घुसपैठ को "बाहरी आक्रामकता" करार दिया और निर्देश दिया कि "बांग्लादेश के नागरिक जिन्होंने अवैध रूप से सीमा पार कर असम में अतिक्रमण कर लिया है या देश के अन्य हिस्सों में रह रहे हैं, उन्हें भारत में रहने के लिए किसी भी प्रकार का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और उन्हें निर्वासित करने के लिए उत्तरदायी है। (हि.स.)
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