दयानंद सिंह
मोरानहाट। मोरान वासियों खासकर फटिकासुआ के लिए आज का दिन खास रहा।मोरान फटिकासुआ निवासी महिला हेमप्रभा सुतिया ने धार्मिक ग्रंथों को हथकरघा से बुनने का शुभारंभ 2013 में किया था जो अभी तक जारी है। श्रीमंत शंकरदेव रचित गुणमाला, नामघोषा ,संस्कृत में श्रीमद्भागवत गीता बुन चुकी है।पुनः श्रीमती सुतिया ने हथकरघा (तांतहाल) पर 22अगस्त2018 को रेशमी धागा से श्रीमद्भागवत गीता (अंग्रेजी संस्करण)बुनना शुरू किया और 30सितंबर 2021 को समाप्त हुआ।यह 240फीट लंबा और दो फीट चौड़ा है। श्रीमती हेमप्रभा सुतिया के परिवार, फटिकासुआ नामघर और गांवरक्षा वाहिनी द्वारा लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। धर्म गुरु, सत्राधिकार डा.पिताम्बर देव गोस्वामी ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत पूजा कर श्रीमद्भागवत अंग्रेजीसंस्करण का लोकार्पण किया। अपने संबोधन में सत्राधिकार ने कहा कि श्रीमती हेमप्रभा सुतिया ने समाज और देश को एक बड़ा उपहार दिया है।उन्होंने श्रीमती सुतिया को असम,भारत के साथ साथ विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला बताते हुए कहा कि शनिवार को असम सरकार ने उन्हें जो " असम गौरव "सम्मान देने की घोषणा की है ,वे उसके लिए सरकार को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने सरकार से हथकरघा पर बुने सभी ग्रंथों को देश-विदेश में प्रदर्शित करने की व्यवस्था की मांग की।उनके अनुसार भले ही हम विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ जाए मगर आज भी आध्यात्म का विशेष महत्व है।हम प्रकृत कार्य से भटकते हुए उचसृंखल हो गए हैं।जीवन में संयम ,सदाचारी और आध्यात्म के माध्यम से उच्च विचार के अधिकारी बन सकते हैं।आध्यात्म पर ध्यान न देने के कारण मनुष्य की आयु 40से 50 वर्ष हो गई है।घर से बच्चे जब बाईक या गाड़ी लेकर बाहर निकल जाते हैं तो मां बाप वापस लौट आने तक भयभीत रहते हैं।कारण बच्चों में संयम की कमी है।वाहन या बाईक दुर्घटना के लिए दोषी नहीं होते। उन्होंने श्रीमती सुतिया को फुलाम गमछा भेंट कर उनके दिर्घायु होने की कामना की। सत्राधिकार के आगमन पर गायन-बायन के साथ आसान तक लाया गया और परिवार द्वारा फुलाम गमछा और सेलेंग चादर से अभिनंदन किया गया।भारी संख्या में स्थानीय संगठनों ने श्रीमती सुतिया का अभिनंदन किया।मंच पर श्रीमद्भागवत गीता ,अंग्रेजी संस्करण बुनने मे पचास हजार रुपये का सहयोग करनेवाले जोरहाट की दम्पति डा.बुद्ध देव दत्ता का अभिनंदन किया गया।सत्राधिकार डा.पिताम्बर देव गोस्वामी ने सभी को आशीर्वाद दिया।भारी संख्या में वैष्णव भक्त, पुरुष-महिला उपस्थित थे।
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