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क्या होता है राजकीय सम्मान, कब और कैसे घोषित किया जाता है राजकीय शोक, क्या हैं इसके नियम

 


समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं। सोमवार 10 अक्टूबर को 82 साल की उम्र में उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। मुलायम सिंह यादव को पेशाब में इन्फेक्शन की वजह से पिछले महीने 26 सितंबर को भर्ती कराया गया था। बता दें कि मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक निवास सैफई में 11 अक्टूबर को होगा। मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। आखिर क्या होता है राजकीय सम्मान, कब होती है इसकी घोषणा, आइए जानते हैं।

क्या होता है राजकीय सम्मान?

जब भी किसी बड़े राजनेता या महान हस्ती का निधन होता है तो सरकार राजकीय शोक की घोषणा करती है। राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के दौरान मृतक के पार्थिव शरीर वाले ताबूत को तिरंगे से लपेटा जाता है। इसके साथ ही राष्ट्र ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। इसके अलावा अंतिम संस्कार के वक्त गन सैल्यूट दिया जाता है। 


कौन घोषित करता है राजकीय शोक?

पहले के नियमों के मुताबिक, यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था। लेकिन अब नियम बदल चुके हैं। अब राज्यों के पास भी ये अधिकार है। मतलब अब राज्य सरकार खुद तय कर सकती है कि किसे राजकीय सम्मान देना है। कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग अलग घोषणाएं की थीं। 


क्या होता है राजकीय शोक में?

- फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक राजकीय शोक के दौरान विधानसभा, सचिवालय सहित महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। 

- इसके अलावा प्रदेश में कोई औपचारिक एवं सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। इस अवधि के दौरान समारोहों और ऑफिशियल एंटरटेनमेंट पर भी प्रतिबंध रहता है।

- देश में और देश के बाहर स्थित भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में भी राष्‍ट्रीय ध्‍वज को आधा झुकाया जाता है। 


क्या है राजकीय शोक का नियम?

पहले राजकीय शोक का ऐलान सिर्फ प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों (पूर्व या वर्तमान) के निधन पर ही किया जाता था। हालांकि, अब यह सम्मान उन सभी हस्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने राष्ट्र के नाम को ऊंचा करने के लिए काम किया है। उनके कद और काम को देखते हुए राज्य सरकार यह फैसला लेती है। अलग-अलग क्षेत्रों जैसे, राजनीति, कला, कानून, विज्ञान, साहित्य आदि में बड़ा योगदान देने वाले लोगों के सम्मान में राजकीय शोक घोषित किया जाता है। 


सार्वजिक छुट्टी जरूरी नहीं : 

पहले राजकीय शोक के दौरान सरकारी कार्यालयों में अवकाश होता था। हालांकि, सरकार ने 1997 से सार्वजनिक छुट्टी की अनिवार्यता को हटा दिया है। हालांकि, पद पर रहते हुए अगर किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन हो जाए, तो छुट्टी होती है। वहीं राज्य सरकारों के पास किसी महान हस्ती के निधन के बाद सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करने का अधिकार है। 



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