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खड़गे V/s थरूर: कुछ देर बाद आएगा रिजल्ट, किसके हाथ होगी 'कांग्रेस' की कमान, फर्जीवाड़े का लगा आरोप

देश की सबसे पुरानी राजनीति पार्टी कांग्रेस को आज गैर 'गैर गांधी' अध्यक्ष मिल जाएगा। करीब 24 साल बाद ऐसा हुआ है। बता दें कि अध्यक्ष पद के लिए सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर AICC प्रमुख पद के लिए आमने-सामने थे। 17 अक्टूबर को कांग्रेस मुख्यालय के साथ-साथ देशभर में मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तरों में वोटिंग कराई गई थी। देशभर में 69 बूथ बनाए गए थे। कांग्रेस पार्टी के अनुसार 90 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी। इधर, जैसे ही काउंटिंग शुरू हुई शशि थरूर खेमे ने वोटिंग में फर्जीवाड़े का आरोप लग दिया। शशि थरूर के चुनाव एजेंट सलमान सोज ने कहा कि वोटिंग में फर्जीवाड़ा हुआ है।

कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठवीं बार वोटिंग हुई थी। जबकि 24 साल बाद पहली बार ऐसा होगा जब पार्टी को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है। सोमवार को 9,915 में से 9,500 से ज्यादा निर्वाचक मंडल सदस्यों ने मतदान किया था। अगर इतिहास देखें, तो 1939 में अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी सीतारमैया नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे।
1950 में में पुरुषोत्तम दास टंडन और आचार्य कृपलानी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। टंडन सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रिय थे। उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद रहे कृपलानी को हरा दिया था।

जब 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजय का मुंह देखना पड़ा, तब देव कांत बरूआ ने ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिया था। इसके बाद हुए चुनाव में ब्रह्मानंद रेड्डी ने अपने निकटम दो उम्मीदवारों सिद्धार्थ शंकर रे और करण सिंह को मात दी थी।

1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराया था। 2000 के चुनाव में पहली बार गांधी फैमिली यानी सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे। लेकिन उन्हें हार मिली थी। सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक इस पद पर रही हैं। इस बीच 2017 और 2019 में राहुल गांधी ने भी अध्यक्ष पद की बागडोर संभाली थी। 

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