गुवाहाटी। असम की नदियों का यहां की सामाजिक व्यवस्था के साथ एक ऐतिहासिक संपर्क रहा है। असम का परिचय नदी के बिना अर्थहीन है और इसी भाव को ध्यान में रखते हुए अधिवक्ता व गायक संदीप चमड़िया ने "नदी" नामक एक कविता संग्रह का प्रस्तुतीकरण किया है ।इस कविता संग्रह मे नदी से जुड़ी हुई विभिन्न विषयों का एक सुंदर चित्रण किया गया है।जहां ब्रह्मपुत्र तथा उसकी अन्य सहायक नदियों के साथ जुड़ी हुई विभिन्न काल्पनिक - वास्तविक तथा और अन्य विषयो को लेकर एक सुंदर कविता संग्रह का निर्माण किया गया है।इस कविता संग्रह में अंकित चित्र के द्वाराअपनी कविता को समझाने का भी एक सुंदर प्रयास किया गया है।
इस कविता संग्रह में कई अन्य विषयो को भी शामिल किया गया है। गुवाहाटी प्रेस क्लब में इसका विधिवत विमोचन मुुख्य अतिथी के रुप मे असम के जाने-माने कवि नीलम कुमार ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा नदी के विषय को लेकर लिखी गई यह कविता की पुस्तक संग्रहित करने लायक है। साधारणत कवि लोग नदी के विषय में कविता नहीं लिखते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य पहाड़, झरने, फूल ,सूर्य, चंद्रमा, तारे इन विषयों पर ही कविता लिखते हैं।इस अवसर पर कार्यक्रम में असम के विशिष्ठ कवि आनीस उज जामान तथा असम के विख्यात गायक दीपेन बरुआ भी उपस्थित थे और उन्होंने इस " नदी" नामक कविता संग्रह कि भूरी - भूरी प्रशंसा की।उक्त कार्यक्रम में साहित्य जगत से जुड़े हुए विनोद मोर, गजानन साहेवाला, विनोद रिंगानिया, राजेश मोर, रंजीता अग्रवाल, रतन अग्रवाल ,सुनील अजितसरीया, रवि अजीतसरिया के अलावा अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान संदीप चमडिया ने डॉ भूपेन हजारिका के गीत प्रस्तुत किए एवं दीपेन बरुआ ने भी दो गीत प्रस्तुत किए। जितेंद्र जैन ने इस कार्यक्रम को संचालन करने में अपना सहयोग प्रदान किया।
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