गुवाहाटी। आठगांव छत्रीबाडी स्थित श्री गौहाटी गौशाला में गत 45 वर्षों से होलिका दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस बार भी 7 मार्च मंगलवार शाम 6:00 बजे गौशाला स्थित वृंदावन गार्डन में होलिका दहन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर अपनी परंपराओं का निर्वाह किया। गौरतलब है कि होलीका दहन होली के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इसी दिन बुराइयों को जलाकर अच्छाइयों की पूजा की जाती है।लोकाचार के अनुसार इससे पूर्व प्रत्येक परिवार के घर में शुभ मुहूर्त में गोबर के कंडे से माला पिरोई जाती है। जिसे राजस्थानी बोली में जेल पिरोना कहते हैं। सभी परिवार गोबर की जेल को होलिका दहन वाले स्थान पर एकत्र कर जलाते हैं और उसकी राख को अपने घर ले जाते हैं।एक अन्य परंपरा के अनुसार इसी राख से नव विवाहित युवतीया 16 दिन पूजने वाली गणगौर की पिंडिया बनाकर गणगौर पूजन की शुरुआत करती है। नवविवाहित युवतियां अपने विवाह की पहली होलिका दहन अपने पीहर में मनाती है। इस अवसर पर वे विवाह की लाल चुनरी ओढ़ कर होलिका के फेरे लगाकर अपने सुहाग की रक्षा की का आशीर्वाद मांगती है। शास्त्रों में वर्णित है कि राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। इसी वरदान का दुरुपयोग करते हुए हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को आग में जलाने का षड्यंत्र रचते हुए होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी। लेकिन श्री हरि ने होलिका को जलाकर राख कर दिया और भक्त प्रहलाद को सुरक्षित आग से बाहर निकाल लिया।इसी शास्त्रीय परंपरा का निर्वाह करते हुए सांकेतिक रूप से होलिका को जलाया जाता है।






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