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सम्मेलन की कामरूप शाखा ने शिल्पी दिवस व छगनलाल जैन शताब्दी समारोह मनाया


गुवाहाटी। मारवाड़ी सम्मेलन की कामरूप शाखा ने उजान बाजार स्थित श्री विवेकानंद केंद्र में शिल्पी दिवस के उपलक्ष्य में रूप कुंवर ज्योति प्रसाद अग्रवाल को स्मरण करते हुए शिल्पी दिवस मनाया एवम कार्यक्रम की दूसरे चरण में स्वर्गीय छगनलाल जैन जन्म शताब्दी समारोह भी मनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्योति प्रसाद व स्वर्गीय छगनलाल जैन के चित्र के आगे दीप प्रज्वलन व पुष्पांजलि अर्पण करके किया गया। इस अवसर पर सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश काबरा, शाखाध्यक्ष दिनेश गुप्ता के अलावा ज्योति प्रसाद अग्रवाल की दो सुपुत्री श्रीमती ज्ञानश्री पाठक व सत्यश्री पाठक, छगनलाल जैन के पुत्र डॉ प्रदीप जैन, लेखक साहित्यकार राजेश काकोटी, डॉक्टर भूपेंद्र राय चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम संयोजक संदीप चमडिया द्वारा ज्योति संगीत प्रस्तुति के बाद शाखाध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि प्राप्त व्यक्तियों को कंचन शर्मा के संचालन में समाजसेवी व साहित्यसेवी श्री कपूर चंद जैन, बरपेटा के अंजन लाल चौधरी और माधुरी कलिता चौधरी, विशिष्ठ कवि नीलम कुमार, नलबाड़ी के कवि कमल कुमार जैन, कवियत्री और नाट्यकार कविता बेड़िया, शिक्षाविद डॉक्टर सुनीता अग्रवाल, विश्वनाथ चाराली के मोटीवेटर डॉक्टर दिनेश अग्रवाल, असमिया फिल्मकार, निर्देशक व अभिनेता राजेश मोर को फुलाम गमछा ,शाॅल और प्रशस्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ज्योति प्रसाद अग्रवाल की सुपुत्री ज्ञानश्री पाठक ने कहा कि मारवाड़ी सम्मेलन की कामरूप शाखा ने शिल्पी दिवस का आयोजन कर असम की संस्कृति में अपनी आस्था को प्रकट किया है। ज्योति प्रसाद अग्रवाल के पूर्वज राजस्थान से आए थे। वह असम में आकर यहां की संस्कृति में रच बस गए थे। असमिया कला संस्कृति को अपनाकर समन्वय का एक आदर्श उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया था। असम में रहने वाले मारवाड़ी प्रवासी भी ज्योति प्रसाद के आदर्श पर विश्वास व्यक्त कर उनका अनुसरण कर रहे हैं। सत्याश्री दास ने कहा कि ज्योति प्रसाद आज भी समाज में प्रासंगिक 

 है। इसका क्या कारण है? यह बात में काफी महत्वपूर्ण मान रही हूं।गाना गाने से कोई शिल्पी नहीं हो जाता, लिखने से ही जैसे साहित्यिक नहीं हो जाता, अभिनेता होने से वह नट्सूर्य नहीं हो जाता ।मगर ज्योति प्रसाद एक विशिष्ठ शिल्पी थे। उनमें असाधारण प्रतिभा थी। असम की साहित्य संस्कृति को उन्होंने एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसीलिए असम के लोग आज भी उनका नाम श्रद्धा व आदर से लेते हैं। डॉक्टर प्रदीप जैन ने स्वर्गीय छगनलाल जैन का परिचय देते हुए उनके साथ बिताए संस्मरण को बताया। प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश काबरा ने अपना संबोधन देते हुए छगनलाल जैन पर पुस्तक प्रकाशन का सुझाव दिया एवं इस कार्य में सम्मेलन द्वारा पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। मंच पर उपस्थित भूपेंद्र राय चौधरी और राजेश काकोटी ने भी अपना 

 सार गर्वित वक्तव्य दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में नित्य साधना संस्कृत विद्यालय शांतिपुर द्वारा ज्योति संगीत नृत्य नाटिका तथा संदीप चमडिया द्वारा ज्योति संगीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में प्रांतीय उपाध्यक्ष ( मुख्यालय) श्री रमेश चांडक, प्रांतीय संयुक्त मंत्री मनोज काला, सम्मेलन कामरूप शाखा के संस्थापक अध्यक्ष संपत मिश्र, पूर्व अध्यक्ष निरंजन सिकरिया, शाखा सचिव संजय खेतान, शाखा कोषाध्यक्ष उमाशंकर गट्टानी, उपाध्यक्ष संतोष जैन,अजित शर्मा, बिनोद शर्मा, विश्वंभर शर्मा, सुनीता गुप्ता सरोज जैन, सम्मेलन महिला शाखा की अध्यक्ष संतोष शर्मा, और जनसंपर्क सचिव संतोष काबरा, प्रकाशक घनश्याम लाडिया, प्रागज्योतिषपुर लेखिका समाज की अध्यक्ष कंचन केजरीवाल के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार तिवारी अग्रवाल सभा के अध्यक्ष श्री अशोक अग्रवाल , बबीता खेतान , संजय निंमोदिया , संदीप बजाज सिए रतन अग्रवाल, सरोज अग्रवाल , सरला जैन ,खुशबू वर्मा , विजय भीमसरिया, दिलीप अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,संजय अग्रवाल , अनुज चौधरी , उमेश महेश्वरी, पूजा नीमोदीया और कवियत्री मंजूलता शर्मा सहित अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। आए हुए सभी विशिष्ट अतिथियों ने इस कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की! कार्यक्रम का समापन जातीय संगीत के साथ हुआ! अंत में कार्यक्रम संयोजक संदीप चमारीया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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