गुवाहाटी। छत्रीबाड़ी स्थित परशुराम सेवा सदन (ब्राह्मण भवन) के नवनिर्मित तीसरे तल्ले गोकुल मंडप तथा चौथे तल्ले गणेश मंडप एवं रसोई घर का का विधिवत उद्घाटन ब्रह्मचारी शिवेंद्र स्वरूप महाराज के कर कमल से किया गया। इस अवसर पर गणेश मंडप में छोटे छोटे बच्चों के लिए संस्कार शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रह्मचारी शिवेंद्र स्वरूप महाराज ने बच्चों को शिक्षा देते हुए कहा कि सनातन संस्कृति में विद्या दान की ऐसी व्यवस्था थी कि जब भगवान राम गुरुकुल में गए थे तो अल्पकाल में ही उनको सारी विद्या आ गई। आज से 50 वर्ष पूर्व शिष्य गुरुकुल में जाकर गुरु के चरणों में जमीन पर बैठकर पढ़ाई करता था। मगर आज गुरु शिष्य के घर जाकर पढ़ाते हैं। जिसके चलते आज की पढ़ाई में श्रद्धा नहीं होती है। अगर जीवन में विद्या प्राप्त करना है तो सबसे पहले विद्यार्थी में योग्यता होनी चाहिए। श्रद्धा, सरलता, सहजता, और विनायता होनी चाहिए।आज की पढ़ाई अपने सपनों को पूरे करके कमाई करने के लिए होती है। जीवन में चार चीजों की जरूरत विद्यार्थियों को होती है। विद्या, विनय, पात्रता, धन और धर्म ।धर्म के पश्चात ही सुख की प्राप्ति होती है।
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