गुवाहाटी। तेरापंथ धर्मस्थल गुवाहाटी के प्रांगण में चल रही राम कथा के चौथे दिन त्यागमुर्ति और वाणी भुषण सन्त शंभु शरण लाटा महाराज ने कहा कि पहले गुरुकुल में जो पढ़ाई होती थी वह मातृ देवो भव पितृ देवो भव गुरु देवो भव होती थी। जीवन में संस्कारों की बड़ी महता है। मनुष्य को अपनी वाणी में मिठास रखनी चाहिए। श्री राम कथा तन व मन को पकित्र कर जीवन शैली व आत्मा को नया स्वरूप प्रदान करती है। राम कथा सुनने से व्यक्ति में नवीनता - का भाव आता है तथा -वह भव सागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के चरित्र में समाहित त्याग व तपस्या की बातो को सुनने से श्रोता के भीतर ऐसे ही महान गुणो का बीज अंकुरित होता है। महाराज श्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए समाज के समक्ष ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जिसके अनुसरण से मनुष्य जीवन सफल हो जाता है। इसलिए मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के जीवन आदर्श बनकर हम सभी को सत्य के मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए। महाराज श्री ने ताडका वध, अहिल्या उद्वार विश्वामित्र के साथ जनकपुरी में प्रवेश और सीता स्वयंवर आदि प्रसंगों पर विस्तार से बताया। परशुरामजी का प्रवेश और सीता -राम विवाह पर प्रकाश डाला। आज के यजमान समीर चौधरी और मिनाक्षी चौधरी ने व्यासपीठ पर पूजन किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें