जनवरी सर्वाइकल स्वास्थ्य जागरूकता महीना है। सर्वाइकल कैंसर ऐसी बीमारी है जिससे हर साल लाखों महिलाओं की जान जाती है। ऐसा नहीं है कि इसे रोका नहीं जा सकता। HPV वैक्सीन लगाने से यह रोग महिलाओं को नहीं होता है, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते यह टीका बहुत सी बच्चियों को नहीं लगता है, जिससे आगे चलकर उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा रहता है।
सर्वाइकल कैंसर रोकने के लिए ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) टीकाकरण महत्वपूर्ण है। यह टीका सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा देता है। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में कैंसर के सबसे आम है। इसके चलते 2020 में लगभग 3,42,000 मौतें हुईं।
सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं प्रीकैंसरस कोशिकाओं में बदलने लगती हैं, जिससे यह कैंसर होता है। सर्वाइकल कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा। लगभग 80% से 90% सर्वाइकल कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमस होते हैं, जबकि 10% से 20% एडेनोकार्सिनोमा। सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर Human papillomavirus (HPV) के संक्रमण से होता है।
HPV टीका HPV वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकता है। यह इंसान के शरीर में HPV वायरस के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी को तैयार करता है। जब उस इंसान के शरीर में HPV वायरस पहुंचता है तो उसके खिलाफ पहले से मौजूद एंटीबॉडी काम करता है और वायरस को मार देता है, जिससे यह उसे बीमार नहीं कर पाता। यह टीका HPV के कारण होने वाले सर्वाइकल कैंसर को रोकने के साथ ही HPV वायरस के चलते होने वाले अन्य प्रकार के कैंसर जैसे मुंह, गले, सिर और गर्दन के कैंसर से भी बचाता है।
40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को एचपीवी टीका लगवाना चाहिए। 10 से 12 साल की बच्ची को HPV टीका लगवा दिया जाए तो उसे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। HPV टीका गर्भवती महिलाओं को नहीं लगाया जाना चाहिए। अगर किसी को HPV टीका से एलर्जी है तो उसे भी टीके की अगली डोज नहीं लेनी चाहिए। बीमारी की स्थिति में यह टीका नहीं लगवाना चाहिए।
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