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CAA को लेकर आसू पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, देश भर के कई संगठनों ने भी खटखटाया शीर्ष अदालत का दरवाजा


गुवाहाटी। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए)लागू किए जाने के खिलाफ सड़क से लेकर न्यायालय तक विरोध अभियान देखा गया। असम में अखिल असम छात्र संस्था (आसू) सहित अन्य कई संगठनों ने देश के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचकर न्याय के लिए अंतिम गुहार लगाई। आंदोलनकारी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पुतले फूंके ओर इस कानून की प्रतियां जलाई। असम छात्र संस्था ने लताशील खेल मैदान से रात्रि को मशाल जुलूस निकालकर नए कानून का प्रतिरोध किया। इस मशाल जुलूस का नेतृत्व आसू के सलाहकार समुज्वल कुमार भट्टाचार्य ने किया। असम जातियतावादी युवा छात्र परिषद ने लखीमपुर में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पुतले फूंके। कांग्रेस ने इस कानून के विरोध में जिले के विभिन्न हिस्सों में कानून की प्रतियां जलाई। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सईकिया ने गुवाहाटी स्थित राजभवन के सामने प्रदर्शन किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी यहां और कामरूप के रंगिया में प्रदर्शन किया। जबकि विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने शहर में अपने-अपनी संस्थाओं के बाहर प्रदर्शन किया। शिवसागर जिले में रायजोर दल, कृषक मुक्ति संग्राम समिति और छात्र मुक्ति परिषद के कार्यकर्ताओं और विधायक अखिल गोगोई ने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। शिवसागर, गोलाघाट, नौगांव,तिनसुकिया और कामरूप जैसे कुछ जिलों में दुकान एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। दूसरी ओर अखिल असम छात्र संघ (,आसू) ने सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने की मांग की। सोमवार को अधिनियम जारी करने के बाद छात्र संघ के नेता सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के लिए सुबह दिल्ली पहुंचे। आसू नेताओं ने कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद मीडिया से कहा कि हमारी मुख्य मांग देश को तोड़ने वाले कानून को रद्द करने की है। फिलहाल हम चाहते हैं कि पहले कानून पर रोक लगे और मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। गौरतलब है कि 2019 में भी आसू ने इस कानून की संविधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। आसू के सलाहकार समुज्वल भट्टाचार्य ने कहा कि अखिल असम छात्र संघ को न्यायालय पर पूरा भरोसा है।भट्टाचार्य ने सवाल उठाया कि यदि यह कानून पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों और असम के कई हिस्सों के लिए खराब हो सकता है तो यह कानून असम के अन्य जिलों के लिए कैसा अच्छा हो सकता है। नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (नेसा) हर पूर्वोत्तर राज्य की राजधानियों में का के अधिनियम और उसके नियमों की प्रतियां जलायेगा।

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