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टैक्स बचाने के लिए गलत दावे करना पड़ सकता है भारी, आयकर विभाग ने की खास तैयारी

 

वित्तीय वर्ष 2024 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई यानी आज है। अब तक लगभग 6 करोड़ ITR फाइल किए जा चुके हैं,70% रिटर्न न्यू टैक्स रिजीम के तहत दाखिल किए गए हैं। कई टैक्सपेयर्स ऐसे होते है, जो टैक्स में छूट पाने के लिए ITR में गलत या बेहिसाब दावे कर सकते हैं। अगर आप भी ऐसा भी करते हैं, तो आपके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।


दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि ऐसे कई कारनामे उजागर हुए है, जिन्होंने गलत जानकारी या दावों के साथ ITR फाइल किया है। अब विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा करना दंडनीय अपराध है और टैक्सपेयर्स को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अब टेक्नोलॉजी की मदद से डिपार्टमेंट इसकी जांच कर रहा है। इसी कारण से टैक्सपेयर्स को रिफंड पाने में दिक्कत हो रही है।


इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स को हिदायत दी है कि ITR फॉर्म में जो टैक्स में छूट या रिफंड के लिए दावा किया जा रहा है कि, यह सही होना चाहिए। साथ ही इसकी पुष्टि के लिए दस्तावेज भी होना जरूरी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जांच के समय इन दस्तावेजों की मांग कर सकता है। अगर कोई दावा गलत पाया जाता है, तो इसे टैक्स चोरी में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में उस करदाता पर कार्रवाई की जा सकती है।


हाउस रेंट की फर्जी रशीद - कई टैक्सपेयर्स अपना RTI फाइल करते वक्त इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए फर्जी हाउस रेंट अलाउंस का रास्ता अपना रहे है। अगर कोई करदाता एक लाख रुपए से ज्यादा का HRA क्लेम करता है, तो उसे अपने अपने मकान मालिक का पैन कार्ड देना होता है। अगर मकान मालिक ने किराए की रकम को अपने RTI में दिखाना जरूरी होता है। ऐसा न करने पर उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।


कई टैक्सपेयर्स दान की फर्जी रसीद का इस्तेमाल करने पर टैक्स में छूट लेने की कोशिश करते हैं। ये दान की रसीद NGO और धर्म के नाम पर बनी संस्थाओं के नाम पर दिखाई जाती है।


कई लोग ITR फाइल करते समय अपनी आय की गलत जानकारी देते हैं। ऐसे में उनके देय टैक्स में भी कमी आ जाती है। कुछ मामलों में टैक्सपेयर का पूरा टैक्स माफ हो जाता है। कई बार तनख्वाह पाने वाले लोग दूसरे सोर्स हुई आय को नहीं दिखाते हैं। ऐसे में जब जांच होती है, तो और भी टैक्स निकलता है।


इसके अलावा खर्चे की रकम बढ़ाकर, बीमारी, एजुकेशन लोन, ट्यूशन फीस और होम लोन के नाम पर कई करदाता इनकम टैक्स की छूट का फायदा लेना चाहते हैं।

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