गुवाहाटी। मारवाड़ी सम्मेलन की महिला शाखा की वर्तमान कार्यकारिणी के प्रथम वर्षगांठ के उपलक्ष्य में छत्रीबाडी स्थित परशुराम सेवा सदन में दो दिवसीय राजस्थानी लोक आध्यात्मिक कथा नानी बाई का मायरा का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर प्रथम दिन के मुख्य यजमान कैलाश निकिता सांखला में विधि पूर्वक व्यास पीठ की पूजा की। कथा व्यास पीठ पर 21 वर्षीय बाल व्यास प्रियांशु चैतन्य ने नानी बाई का मायरा कथा प्रसंग की शुरुआत करते हुए कहा कि नानी बाई को मायरा कथा की रचना मारवाड़ी भाषा में की गई है। अतः इसको मारवाड़ी में ही वाचन करने से सही रस स्वाद प्राप्त होगा। अगर भलों का साथ होता है तो सारे काम भले ही होते हैं। अतः माॅ बाप हमेशा अपनी संतान की संगत का ध्यान रखते हैं। इसी तरह ठाकुर जी का साथ हो तो यह जीवन नैया पार लग जाती है। भगवान का चरित्र भक्त सुनते हैं मगर भक्तों का चरित्र स्वयं भगवान यजमान के रूप में सुनते हैं। भगवान के परम भक्त नरसी भगत ने भगवान से कभी कुछ नहीं मांगा था। अतः भगवान ने जब भी उनको प्रसाद दिया उसे भी वह वापस भगवान को ही अर्पण कर दिया करते थे। मगर नानी बाई के विवाह में भगवान ने नरसी भगत को मायरा के रूप में 56 करोड़ का उपहार दे दिया। उसमें भी नरसी भगत ने सब कुछ अपनी बेटी नानी बाई को देकर अपने लिए कुछ भी नहीं रखा। बाल व्यास गुरु ने कहा कि नरसी जी का जन्म गुजरात में 1414 सन में नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जन्म से ही वह गूंगे और बहरे थे। नानी बाई उनकी ही बेटी थी। इससे पहले महिला शाखा की स्मारिका सुबोधिनी का विमोचन सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश काबरा, महामंत्री विनोद लोहिया, उपाध्यक्ष (मुख्यालय) रमेश चांडक, मंडलीय उपाध्यक्ष सुशील गोयल, सह मंत्री मनोज काला और पंकज पोद्दार, कामरूप शाखा के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता, गुवाहाटी शाखा के अध्यक्ष शंकर बिरला,महिला शाखा की अध्यक्ष संतोष शर्मा, सचिव मंजू भंसाली, कोषाध्यक्ष विमला कोचर, सलाहकार सरला काबरा,शारदा केड़िया, इंदिरा जिंदल, वंदना सोमानी, मंजू पाटनी, सरोज मित्तल, स्मारिका की संपादिका पुष्पा सोनी, सह संपादिका सुमन शर्मा और कनक सेठिया ने किया। कल दूसरे दिन शनिवार को नानी बाई का मायरा का जीवंत झांकियां सहित प्रसंग सुनाया जाएगा।
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मारवाड़ी सम्मेलन महिला शाखा का दो दिवसीय नानी बाई को मायरो का शुभारंभ
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