असम के मुख्यमंत्री ने आज प्रसिद्ध साहित्यकार और मानवतावादी डॉ. इंदिरा गोस्वामी (मामोनी रायसोम गोस्वामी) की पुण्यतिथि पर गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि डॉ. गोस्वामी केवल असम की नहीं, बल्कि भारत और अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मंच पर एक अमिट छाप छोड़ने वाली महान हस्ती थीं।
उनके अनुसार, रामायण साहित्य की प्रसिद्ध शोधकर्ता और असमिया साहित्य की अद्वितीय लेखिका ने अपनी कृतियों के माध्यम से असमिया भाषा और संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी साहित्यिक और सामाजिक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि असमिया साहित्य को उनकी कृतियों ने एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उनकी स्मृति को नमन करते हुए, उन्होंने उन्हें एक सच्ची मानवतावादी और असम की महान विभूति बताया।
डॉ. इंदिरा गोस्वामी के जीवन की प्रमुख उपलब्धियां
1. जन्म और प्रारंभिक शिक्षा: डॉ. इंदिरा गोस्वामी का जन्म 14 नवंबर 1942 को असम के गुवाहाटी में हुआ। उन्होंने असमिया साहित्य में उच्च शिक्षा हासिल की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया।
2. साहित्यिक योगदान: उनकी प्रमुख कृतियों में 'मामरे धरित्री केओरु', 'दोटोरी', और 'चेनाबर संध्या' शामिल हैं। उनकी रचनाएं सामाजिक मुद्दों और मानवीय मूल्यों पर आधारित होती थीं।
3. रामायण पर शोध: उन्होंने रामायण पर गहन शोध किया और इसे नई दृष्टि से प्रस्तुत किया। उनकी किताब 'द रामायण फ्रॉम गांधीजी टू गांधीजी' को व्यापक प्रशंसा मिली।
4. मानवतावादी कार्य: असम में उग्रवाद और शांति प्रक्रिया को लेकर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पहल ने कई शांति वार्ताओं को दिशा दी।
5. सम्मान और पुरस्कार: उन्हें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' (2000), 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', और 'पद्मश्री' जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया।
6. सांस्कृतिक पहचान का विकास: उन्होंने असमिया साहित्य को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई और भारतीय साहित्य में एक विशेष स्थान बनाया।
डॉ. इंदिरा गोस्वामी का 29 नवंबर 2011 को निधन हो गया। उनकी लेखनी और योगदान हमेशा असम और भारत के साहित्यिक इतिहास में अमर रहेंगे।
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