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भारत-पाक तनाव के बीच लखीमपुर में रक्तदान शिविर: घायल सैनिकों के लिए युवा परिषद की सराहनीय पहल

 


लखीमपुर से राजेश राठी ओर ओम प्रकाश तिवाड़ी की रिपोर्ट 


लखीमपुर। जब देश की सीमाओं पर बादल घिर रहे हों, जब युद्ध की आशंका मंडराने लगे और जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर हो—ऐसे कठिन समय में देशभक्ति केवल शब्दों से नहीं, कर्मों से झलकती है। इसी भावना को साकार किया है असम जातीयतावादी युवा परिषद की उत्तर लखीमपुर आंचलिक समिति ने, जिसने शनिवार को लखीमपुर मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में भारतीय सेना के लिए एक विशेष रक्तदान शिविर का आयोजन कर पूरे जिले को गौरवान्वित कर दिया। इस पुनीत कार्य में समिति के 50 से अधिक पदाधिकारियों एवं युवाओं ने भाग लिया और अपने रक्त की बूंदें देश की मिट्टी को समर्पित कीं। यह रक्तदान केवल एक चिकित्सीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक गूंजता हुआ संदेश था—कि असम का युवा देश की रक्षा में अपने प्राण, परिश्रम और रक्त देने को सदैव तत्पर है।समिति के अध्यक्ष श्री मनोज कलिता एवं महासचिव श्री रिंकू सईकिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि यह शिविर विशेष रूप से संभावित युद्ध की स्थिति में घायल सैनिकों के लिए रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आयोजित किया गया। उन्होंने कहा, “आज जब हमारी सीमाओं पर वीर जवान सीने पर गोलियां झेलने को तैयार खड़े हैं, तो यह हम नागरिकों का परम कर्तव्य है कि हम भी अपने स्तर पर उनका संबल बनें। यह रक्तदान हमारे सच्चे राष्ट्रप्रेम और समर्थन का प्रतीक है।” शिविर का उद्घाटन करते हुए अध्यक्ष मनोज कलिता ने कहा, “देश एक संकट के दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान की ओर से लगातार उकसावे की कार्यवाहियाँ हो रही हैं। ऐसे समय में केवल सरकार या सेना पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी। यही सच्ची राष्ट्रसेवा है।” उन्होंने यह भी कहा कि देश के कोने-कोने में राष्ट्रप्रेम की लहर उठ चुकी है। कोई सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है, तो कोई अपने सामर्थ्य अनुसार सहायता देने के लिए आगे आ रहा है। उत्तर लखीमपुर आंचलिक समिति का यह कदम इसी जनभावना का प्रतीक है। शिविर में युवाओं के चेहरे पर उत्साह, आंखों में आत्मविश्वास और हृदय में राष्ट्र के प्रति अटूट प्रेम स्पष्ट झलक रहा था। रक्तदान करने वाले हर युवा ने यह संकल्प लिया कि जब भी देश पुकारेगा, वे पीछे नहीं हटेंगे। यह शिविर केवल रक्तदान का आयोजन नहीं था, यह एक जीवंत संदेश था कि भारत का प्रत्येक कोना, प्रत्येक युवा, देश की रक्षा में अपनी भूमिका निभाने के लिए सजग और समर्पित है। लखीमपुर के इस पहल ने न केवल असम, बल्कि समूचे भारत के लिए एक प्रेरणा प्रस्तुत की है।


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