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स्वस्थ जीवन के लिए अपनाएं ये खास वास्तु टिप्स; ऊर्जा संतुलन से बढ़ेगी सेहत और शांति


आज के समय में जब जीवन की गति तेज हो गई है और मानसिक तनाव आम हो चला है, ऐसे में घर का वातावरण अगर सकारात्मक हो, तो यह न सिर्फ़ मन को शांत करता है बल्कि शरीर को भी स्वस्थ बनाए रखता है।

वास्तु शास्त्र, जो कि ऊर्जा संतुलन का विज्ञान है, ऐसे कई उपाय देता है जो हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।


आइए जानते हैं अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ अहम वास्तु सुझाव:


मर्म बिंदु क्या हैं और क्यों हैं महत्वपूर्ण?


मर्म बिंदु घर की ऊर्जा के वही केंद्र होते हैं जैसे शरीर में एक्यूप्रेशर पॉइंट्स।

यह छवि नॉर्थ 0 डिग्री झुकाव वाले 60 x 60 के प्लॉट के मर्म बिंदुओं को दर्शाती है।

जैसे-जैसे प्लॉट की लंबाई या चौड़ाई बदलती है, वैसे-वैसे मर्म बिंदुओं की स्थिति भी बदलती रहती है।


सुझाव:


इन स्थानों पर न तो खंभें हों और न ही भारी फर्नीचर।


इन बिंदुओं पर सोना या लंबे समय तक बैठना टालें।


एक वास्तु विशेषज्ञ की मदद से अपने घर में इन बिंदुओं की सही पहचान करें।



ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) – अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण दिशा


यह दिशा मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन के लिए आदर्श है, इसलिए इसे साफ, हल्का और खुला रखें तथा ध्यान, पूजा या मेडिटेशन के लिए उपयोग करें।


यहाँ टॉयलेट, भारी सामान या कूड़ेदान न रखें, बल्कि जल स्रोत रखें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा रुके नहीं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़े।



सोने की दिशा – बेहतर नींद और अच्छा स्वास्थ्य


सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में रखकर सोने से:


नींद गहरी होती है


ऊर्जा संतुलित रहती है


शरीर स्वयं को ठीक करने में सक्षम होता है



सिर उत्तर दिशा में रखकर सोने से:


मानसिक तनाव, थकान और अनिद्रा हो सकती है


धीरे-धीरे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है



बीम के नीचे सोने से मानसिक दबाव और बेचैनी हो सकती है, इससे बचें।


बिस्तर के नीचे क्लटर या स्टोरेज न रखें — यह ऊर्जा अवरुद्ध करता है।


अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) – पाचन और ऊर्जा का स्थान


पानी से जुड़े तत्व (जैसे पानी की टंकी, फव्वारा, सिंक) यहां रखने से अग्नि तत्व कमजोर हो सकता है, जिससे:


पाचन तंत्र प्रभावित होता है


शरीर में थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होती है



इस दिशा में रसोई या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है — इससे अग्नि तत्व मजबूत होता है और स्वास्थ्य संतुलित रहता है।


घर की बनावट में रखें ये सावधानियाँ:


घर के ब्रह्मस्थान (केंद्र) में सीढ़ियाँ या शौचालय न बनवाएं — यह जीवन ऊर्जा को बाधित करता है।


टूटा हुआ शीशा घर में न रखें — यह नकारात्मक ऊर्जा फैलाता है।


काँटेदार या दूधिया रस वाले पौधे जैसे कैक्टस या रबर प्लांट घर के अंदर न रखें।


दीवारों या फर्श में दरारें ऊर्जा के रिसाव और मानसिक तनाव का संकेत होती हैं, इन्हें समय रहते ठीक कराएं।


घर में शुद्ध ऊर्जा बनाए रखने के लिए प्राकृतिक रोशनी और हवा का प्रवाह घर के चारों ओर आवश्यक है।



कुछ अतिरिक्त सुझाव:


तुलसी, मनी प्लांट जैसे पौधे उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।


सप्ताह में एक बार कपूर या लोबान जलाकर घर की ऊर्जा को शुद्ध करें।


निष्कर्ष:

स्वस्थ जीवन केवल खानपान या दवाओं से नहीं, बल्कि आपके आसपास के वातावरण से भी जुड़ा होता है। इन छोटे-छोटे वास्तु उपायों को अपनाकर आप अपने घर को एक ऊर्जावान, शांत और स्वस्थ स्थान बना सकते हैं।


रिपोर्ट: देवकी नंदन देवड़ा

मो. 9377607101

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