गुवाहाटी। परशुराम सेवा सदन छत्रीबाडी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन व्यासपीठ पर विराजमान पंडित परमेश्वर लाल दाधीच ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव कथा सुनाई गई। व्यासपीठ से पंडित गुरुकृपा ने लयबद्ध कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चौथे दिन कथा वाचक ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का तांता उमड़ पड़ा।
कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं।
भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए।
जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है,
तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। कथा के दौरान ज्यों ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, पूरा पंडाल *कृष्ण कन्हैया लाल की जय* के जयकारों से गूंज उठा।
कथावाचक के साथ सुर-ताल में शामिल मंडली ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी वहीं कथा स्थल पर उपस्थित मातृशक्तियों ने मंगल गीत गाए एवं खुब खुशियों के साथ कथा का रसपान किया।
कथा आयोजित परिवार ने सभी को धन्यवाद दिया। पंडित परमेश्वर लाल गुरुकृपा ने अपने जीवन को गौ सेवार्थ समर्पित कर रखा है गौ सेवार्थ अनंत कथाओं का नि शुल्क और नि स्वार्थ भाव से वाचन किया है।
राजस्थान से लेकर सुरत, कलकत्ता, बंगाल, शिलांग, गुवाहाटी जैसे कई बड़े-बड़े शहरों में कथा का वाचन करते हुए एक मधुर वाणी की बरसात की है जो एक यादगार हैं
पंडित जी गुरुकृपा ने किसी तरह के स्वार्थ को अपने जीवन से लाखों कोस की दुरी पर रखा है गुवाहाटी में आयोजित कथा का शुभारंभ दिनांक 26 जुन से भव्य कलशयात्रा के साथ हुआ था जो 2 जुलाई तक चलेगा।
कथा के यजमान संतोष कुमार शाह ने कहा की भागवत कथा में जीवन का सार है जो कथा करवातें है और कथा का रसपान करते हैं वो बड़े भाग्यशाली होते हैं, पंडित जी गुरुकृपा ने कथा के दौरान गौ माताओं का वर्णन किया।
कथा दोपहर 2 बजे शाम 6 बजे तक होती है।
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