गुवाहाटी। विशिष्ठ निबंधकार, साहित्यकार, कई महत्वपूर्ण पुस्तक के प्रणेता एवं ओखोमोर समाज जीवनलोय मारवाड़ी असमिया होकोलोर ओवोदान " शीर्षक ग्रन्थ लेखक अनिल बोरा का आज 11 जून बुधवार को प्रातः 9 बजकर 9 मिनट पर डाउनटाउन हॉस्पिटल में लंबी बीमारी के चलते देहावसान हो गया। उनके निधन का समाचार मिलते ही साहित्य जगत के साथ-साथ मारवाड़ी सम्मेलन में भी शोक की लहर छा गई। उनके स्वर्गारोहण पर उनके बेलतला सर्वे स्थित निवास पर पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन की और से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
उनका पार्थिव शरीर दोपहर 11:25 बजे होस्पिटल से घर पहुंचा। जहां परिजन, इष्ट मित्र, साहित्यकार, लेखको व समाज बंधुओं ने उनके अंतिम दर्शन करते हुए श्रृद्धा सुमन अर्पित किए। इस क्रम में पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष कैलाश काबरा, उपाध्यक्ष (मुख्यालय) विनोद कुमार लोहिया, महामंत्री रमेश कुमार चांडक, कोषाध्यक्ष दिनेश गुप्ता, कामरूप शाखा अध्यक्ष अजित शर्मा, उपाध्यक्ष संजय खेतान तथा गुवाहाटी शाखा से घनश्याम लडिया एवं रमेश कुमार चांडक ने श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए, उनके पुत्र एवं परिजनों को संवेदना प्रकट करते हुए इसे असमिया समाज के साथ साथ असमिया मारवाड़ी समाज की भी अपूर्णीय क्षति बताया। चंद विरले व्यक्तित्व में से एक थे अनील बोरा जो बिन कहे हमारे जज़्बात एवं भावनाओं को न सिर्फ समझते थे बल्कि उसका यथोचित सम्मान करते हुए जीवन पर्यन्त एक समन्वय सेतु बनने का महान एवं आदर्श कार्य करते रहे। ऐसी आत्मा का संसार से विदा होना असमिया मारवाड़ी समाज में एक रिक्तता पैदा करती है, जिसकी भरपाई होने में समाज को लम्बी अवधि तक इन्तजार करना होगा। बेलतला सर्वे स्थित उनके आवास से उनकी अंतिम यात्रा दोपहर 12:00 बजे बाद वशिष्ठ श्मशान घाट के लिए रवाना हुई तथा कई विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। उल्लेखनीय है कि 1998 सन में आनिल बोरा जब फाटाशील स्थित केआरबी गर्ल्स कॉलेज के प्रिंसिपल थे। उस समय उनका जुड़ाव मारवाड़ी युवा मंच गुवाहाटी शाखा के साथ हुआ। तत्कालीन अध्यक्ष किशोर जैन और सचिव संपत मिश्र के अनुरोध पर मारवाड़ी युवा मंच गुवाहाटी शाखा के अतिथ्य में उन्होंने केआरबी गर्ल्स कॉलेज में दो दिवसीय ज्योति प्रसाद अग्रवाल शिल्पी दिवस का भव्य आयोजन किया था। इस कार्यक्रम से अनिल बोरा के कारण मारवाड़ी युवा मंच गुवाहाटी की असमिया समाज में एक अलग ही पहचान बन गई थी। इस शिल्पी दिवस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार कनक सेन डेका ने असम मे मारवाड़ी समाज के अवदानों के बारे में विस्तृत संबोधन दिया था। जो कि बाद में चर्चा का विषय बनकर असमिया अखबारों की सुर्खियों बन गया था।यहीं से अनिल बोरा का मारवाड़ी समाज के प्रति लगाव शुरु हुआ और उन्हे मारवाडी समाज के अवदानों पर इतिहास लिखने की प्रेरणा मिली। अपने जीवन के अंतिम दिनों में भगवती प्रसाद लड़िया फाउंडेशन के प्रकाशन में उन्होंने ओखोमोर सोमाज जीवोनोलोय मारवाड़ी समाज होकोलोर ओवोदान नामक एक ग्रंथ लिखकर मारवाड़ी समाज का असम के लिए अवदान को असमिया समाज के घर-घर तक पहुंचा दिया। उनके निधन पर उनके चाहने वालों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। असम साहित्य सभा के पूर्व कोषाध्यक्ष किशोर कुमार जैन,वृहत्तर फैंसी बाजार साहित्य सभा के सचिव व भगवती प्रसाद लडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष घनश्याम लडिया, ब्रह्मपुत्र साहित्य सभा की अध्यक्ष कंचन केजरीवाल व जनसंपर्क सचिव संपत मिश्र ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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