श्री परशुराम भवन में वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य गोविन्द भैयाजी ने चतुर्थ दिवस की कथा प्रसंग को रावण जैसे राक्षसों के अत्याचारों से ऋषियों को महर्षियों मुनियों तपस्वियों त्यागियों योगियों को मुक्ति दिलाने और धरती माता के बोझा कम करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु का राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न के रुप में अवतार लेने प्रसंग को मधुर संगीत के साथ प्रस्तुत किया कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए व्यासजी ने बताया कि रावण ने भारत के कौने कौने में जब छावनियां बनाईं गई तो सबसे पहले साधु-संतों की चिंता बढ़ गई क्योंकि राक्षसों ने,,,,
जेही विधि होहीं धर्म निर्मूला।कहीं सो सदा वेद प्रतिकूला।।
जेही जेही देश धेनु द्विज पावहीं।
नगर गांव पुर आग लगा वहीं।।
रावण के आदेश से दुष्टों ने वेदों शास्त्रों के विरुद्ध काम करना जैसे गोहत्या ऋषियों महर्षियों मुनियों तपस्वियों की हत्या करना शुरू किया ओर तब,,,
गाधी तनय मन चिंता व्यापी।
हरि बिनु मरहीं न निशिचर पापी।।
विश्वामित्र ने ध्यान लगाकर देखा भूमि पर से राक्षसों का भार हटाने वैदिक धर्म व संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए भगवान श्री अयोध्या में राम रूप में अवतार लेकर आयें हैं,,,
राजा दशरथ से भीख मांग कर जनकपुर ले गये
निष्क्रिय ब्रह्म को सक्रिय करने के लिए शक्ति रूपी सीता जी से संबंध जोड दिया ओर जब रावण ने माता सीता जी का हरण किया तो परिणाम स्वरूप संपूर्ण खानदान का विनाश कर श्रीराम सीता जी के साथ अयोध्या आतें हैं राजतिलक होता है इसके बाद मनमोहक भजनों द्वारा श्रोताओं को आनन्द प्रदान करते हुए श्री कृष्ण भगवान का अवतार हुआ धूमधाम से नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की,,,,सभी श्रोताओं ने भाव-विभोर होकर नन्दमहोत्सव मनाया गया।
अंत में वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य श्री कृष्ण किंकर जी महाराज ने अवतार का प्रयोजन बताते हुए कहा कि रामावतार से हर व्यक्ति को यह शिक्षा मिलती है कि अगर मैं किसी पराई स्त्री का हरण करुंगा तो मेरा संपूर्ण वंश नष्ट हो जायेगा।
कृष्णावतार से हर व्यक्ति को शिक्षा लेनी चाहिए कि किसी पराई स्त्री की साड़ी छूने का पाप करेंगे तो हमारा खानदान नष्ट हो जायेगा,,, सरकार को इन शिक्षाओं को बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाना चाहिए।
कल की कथा में गिरिराज पूजन होगा। मौके पर यजमान रिणवा परिवार द्वारा समाजसेवी रतन शर्मा, भाजपा कोषाध्यक्ष राजकुमार शर्मा, पुलिस अधीक्षक अनिल शर्मा चोटिया का व्यास पीठ से फूलाम गामोछा के साथ आशीर्वाद प्रदान करवाकर सम्मान किया गया। इस दौरान रतन शर्मा ने कहा कि भागवत का आयोजन भगवान की कृपा से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि कई जन्मों के पुण्यों का उदय होने पर संतों का आगमन और प्रभु कथा होती है। शर्मा ने इस मौके पर खुद भी एक भागवत आयोजन की इच्छा जताई। कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में भक्त - श्रद्धालु मौजूद थे।
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