वास्तुशास्त्र में दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) को घर की सबसे प्रभावशाली और निर्णायक दिशा माना गया है। राजवल्लभ और पैंतालीस देवता विन्यास जैसे प्राचीन ग्रंथों में इस दिशा के अधिपति नैऋत्य देव बताए गए हैं। यह दिशा स्थिरता, सुरक्षा, नियंत्रण और नेतृत्व की प्रतीक है। इसे “पृथ्वी तत्व” की दिशा भी कहा गया है — अर्थात् यहाँ की ऊर्जा ठोस, स्थायी और गहराई लिए हुए होती है।
नैऋत्य कोण का महत्व
इस दिशा पर राहु ग्रह का प्रभाव माना गया है। यहाँ से निकलने वाली ऊर्जा व्यक्ति के आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और आर्थिक स्थायित्व से जुड़ी मानी जाती है। इस दिशा का कमजोर या खाली रहना व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता, भय या नियंत्रण की कमी ला सकता है।
भूमि और निर्माण से जुड़ी सावधानियाँ
दक्षिण-पश्चिम दिशा का तत्व पृथ्वी है।
यह तत्व भार, ठोसपन, स्थिरता और सुरक्षा का द्योतक है। इसलिए इस दिशा में भारी वस्तुएँ, मोटी दीवारें और मजबूत निर्माण शुभ माने जाते हैं।राजवल्लभ ग्रंथ में कहा गया है कि नैऋत्य कोण को हमेशा ऊँचा और मजबूत रखना चाहिए। यह घर का “आधार बिंदु” होता है।
इस दिशा में खुदाई या बेसमेंट बनाना वर्जित है, क्योंकि इससे घर की नींव अस्थिर हो सकती है।
ढलान दक्षिण-पश्चिम की ओर नहीं होना चाहिए। इससे धन की हानि, स्वास्थ्य में गिरावट और पारिवारिक मतभेद हो सकते हैं।
घर का यह हिस्सा अन्य दिशाओं की तुलना में ऊँचा और भारी होना चाहिए, ताकि सूर्य की दोपहर बाद की तेज़ किरणों और वायु-दाब से घर सुरक्षित रहे।
कमरे और उपयोग का सही निर्धारण
वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा घर के मुखिया या वरिष्ठ सदस्य के लिए सर्वोत्तम मानी गई है।
मास्टर बेडरूम इस दिशा में रखना सबसे शुभ होता है। इससे निर्णय क्षमता और नेतृत्व की भावना विकसित होती है।
सेफ़ या लॉकर रूम इस दिशा में रखने से धन सुरक्षित रहता है।
दक्षिण-पश्चिम में शयन का विज्ञान
यदि शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में हो तो सोने की दिशा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सिर दक्षिण की ओर और पैर उत्तर की ओर रखकर सोना सर्वोत्तम होता है। इससे शरीर का चुंबकीय प्रवाह पृथ्वी के नॉर्थ-साउथ फ्लो के साथ संरेखित रहता है।
यह स्थिति नींद को गहरी और मन को स्थिर बनाती है।
भारी फर्नीचर और पलंग को दक्षिण या पश्चिम की दीवार के पास रखना चाहिए ताकि ऊर्जा स्थिर रहे।
रंग चिकित्सा और नैऋत्य कोण
रंगों का चयन इस दिशा की ऊर्जा को प्रभावित करता है।
क्रीम, हल्का पीला, और सुनहरा रंग इस दिशा के लिए सबसे उपयुक्त हैं। ये रंग स्थिरता, आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना को बढ़ाते हैं।
काला, नीला या गहरा ग्रे रंग यहाँ नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, क्रीम रंग के साथ सुनहरी पॉलिश या बॉर्डर मास्टर बेडरूम के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
सूर्य दोपहर के बाद दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर झुकता है। इस समय किरणें सबसे तेज़ होती हैं, जो घर के तापमान को बढ़ा सकती हैं। यदि इस दिशा की दीवारें मोटी और हल्के रंग की हों, तो वे गर्मी को सोखकर धीरे-धीरे छोड़ती हैं। इससे घर का तापमान संतुलित रहता है और ऊर्जा की खपत कम होती है। संरचनात्मक दृष्टि से भी इस दिशा का भारी और ऊँचा होना घर के गुरुत्व केंद्र (Center of Gravity) को संतुलित रखता है, जिससे भवन अधिक स्थायी बनता है।
निष्कर्ष
दक्षिण-पश्चिम दिशा केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा, चुंबकीय प्रवाह और भू-संरचना पर आधारित एक वैज्ञानिक सिद्धांत है। यह दिशा व्यक्ति और परिवार दोनों को स्थिरता, सुरक्षा और आत्मबल प्रदान करती है। यदि इस दिशा को ऊँचा, ठोस और संतुलित रखा जाए तथा रंगों और निर्माण का सही संयोजन किया जाए, तो यह जीवन में दीर्घकालिक समृद्धि और संतोष का आधार बन सकती है।







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