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ट्रम्प के भारत आने से पहले ही दो अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर बनी सहमति


वाशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 24-25 फ़रवरी की भारत यात्रा से पूर्व ट्रम्प प्रशासन ने 1.867 अरब डालर की लागत की एकीकृत एयर डिफ़ेंस विपन सिस्टम'  के  बिक्री  रक्षा सौदे पर सहमति दे दी है। इस बारे में अमेरिकी डिफ़ेंस सिक्युरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी  ने सोमवार को अमेरिकी कांग्रेस को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है। उम्मीद की जा रही है कि इस संबंध में ट्रम्प के भारत दौरे में इस पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। इस से क्षेत्र में भारत की स्थिति बहुत मज़बूत हो जाएगी और किसी दुश्मन का आँख उठाना संभव नहीं होगा। 

एजेंसी ने कांग्रेस को इस बारे स्पष्ट किया है कि  'एकीकृत एयर डिफ़ेंस विपन सिस्टम' के तहत भारत से जो समझौता किया गया है, उससे  क्षेत्र में मूलत: किसी तरह का कोई असंतुलन पैदा नहीं होगा। बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों को लेकर दोनों देशों की सरकारें गंभीर हैं। भारत ने इस एकीकृत रक्षा प्रणाली  के अंतर्गत मुख्यत: पाँच बिंदुओं पर जोर दिया है, जिनमें एएन/एमपी क्यू-64 एफ वन सेंटीनल राडार सिस्टम, 118 एएम आरएएएम  ऐआईएम-120 सी- 7/सी-8 मिसाइल,  एएम आरएएएम गाइडेंस सेक्शंस,एमर एएएम कंट्रोल सेक्शन और  पाँच, 134 स्टिंगर एफ आई एम-92 एल मिसाइल।  इनके अलावा भारत ने 32 एमचारए 1 राइफ़ल, 40320  एम 8555.6 एमेम कारतूस और फ़ायर डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर और रिमोट टर्मिनल की माँग की है। 

इस समझौते में इलेक्ट्रिकल आप्टिकल इंफ़्रेटिड सेंसर सिस्टम, बहुद्देशीय टारगेटिंग सिस्टम, कनिस्टेर लॉन्चर्स, तीव्रगामी लॉन्चर्स और दोहरे स्ट्रिंगर एयर डिफ़ेंस सिस्टम की भी मांग की है। इसेके अलावा अमेरिका  से अन्य कई रक्षात्मक डिफेंस सिस्टम भी लिए जा रहे हैं।  भारत ये रक्षात्मक सुविधाएं अपनी सेना को आधुनिक और मज़बूत बनाए जाने के मकसद से ले रहा है।  इस संदर्भ में सरकारी और ग़ैर सरकारी 60 एजेंट और सरकारी अधिकारी भारत का दौरा करने जा रहे हैं।  

रिकॉर्ड की दृष्टि से देंखे तो, तो सन 2019 तक दोनों के बीच 18 अरब डालर के रक्षा समझौते हो चुके हैं। कहा जा रहा है कि ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान रक्षा मामलों पर और भी कई समझौते हो सकते हैं। इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच रक्षा मामलों में निजी क्षेत्र में भी कई समझौते हो सकते हैं। अमेरिका ने ओबामा के कार्यकाल में भारत को एक बड़ा रक्षा सहयोगी माना था। इस स्थिति में अमेरिका भारत के साथ उन सभी रक्षा समझौतों पर खुलकर चर्चा कर सकता है, जो वह अपने नाटो सहयोगी देशों के साथ करता रहा है।   

दो देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के तहत रक्षा सौदों में अमेरिकी रक्षा बोइंग एफ-15 ईएक्स ईगल लड़ाकू जहाज़ भी भारत को देने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में अमेरिकी कंपनी ने लाइसेंस ले लिया है। उम्मीद की जा रही है कि अठारह अरब डॉलर की दीर्घावधि योजना के अंतर्गत 114 लड़ाकू विमान भारत को मिल सकेंगे। 2.6 अरब डालर की लागत से हुए इस रक्षा सौदे में भारत को  24 बहुद्देशीय एमएच 60 आर सी-हॉक समुद्री हेलिकॉप्टर भी मिल सकेंगे।(हिस)

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