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देश के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट का रास्ता साफ, जल्द शुरू होंगी उड़ानें


नोएडा । उत्तर प्रदेश के जिला गौतमुद्धनगर में देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने का रास्ता अब साफ हो गया है। जल्द ही जेवर से देश विदेश के लिए उड़ानें शुरू हो सकती हैं। पिछले हफ्ते प्रशासन ने जेवर के छह गांवों के किसानों से कुल 1239 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करके यमुना प्राधिकरण (यीडा) को सौंप दी। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए कुल 1334 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता प्रशासन को थी, जिसमें से 1239 हेक्टेयर जमीन रनहेरा, वनवरिवास, दयनतपुर, रोही और किशोरपुर के किसानों से अधिग्रहण किया जाना था। 

आईजीआई से भी बड़ा होगा जेवर एयरपोर्ट 
गौतमुद्धनगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने सोमवार को बताया कि जेवर एयरपोर्ट दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट (आईजीआई) से भी विस्तृत होगा। आईजीआई का क्षेत्रफल 2066 हेक्टेयर में फैला है तो जेवर एयरपोर्ट 5000 हेक्टेयर में फैला होगा। जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों को दिल्ली के आईजीआई से यात्रा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और आईजीआई पर लोड भी कम पड़ेगा। जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद मथुरा, आगरा इत्यादि जगहों पर आने के लिए देश विदेश के सैलानियों को आसानी होगी। दिल्ली के आईजीआई और जेवर एयरपोर्ट को मेट्रो से कनेक्ट किया जाएगा। 

छह महीने में ही शतप्रतिशत जमीन का अधिग्रहण 
जिलाधिकारी के मुताबिक 1239 हेक्टेयर जमीन का बिना किसी प्रतिरोध के छह महीने में ही अधिग्रहण कर लिया गया। 06 अगस्त 2019 को पहले चरण की जमीन अधिग्रहण की गई थी जो जनवरी तक पूरा हो गया। सभी किसानों को मुआवजा भी सही समय पर प्रदान कर दिया गया था। 

तीन हजार करोड़ से अधिक धनराशि किसानों के खातों में हस्तांतरित 
जेवर एयरपोर्ट के निर्माण में 8971 परिवार प्रभावित हुए, जिसको मुआवजे के रूप में तीन हजार करोड़ रुपये की धन राशि दी गई। जिलाधिकारी बीएन सिंह ने बताया कि अप्रैल माह से मुआवजा वितरण का कार्य शुरू हुआ था। जिसके बाद ऐसी व्यवस्था बनाई गई जिसमें किसानों के जमीन अधिग्रहण  की सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के दो दिन के बाद उनके खाते में पैसा हस्तांतरित कर दिया जाए। जमीन अधिग्रहण के कार्य को समय पर पूरा करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पुराने बिल्डिंग में पृथक एक कलेक्टर कार्यालय बनाया गया जहां दिन रात काम किया जाता था। 

3627 परिवारों को स्थापित करने की उचित व्यवस्था 
जिलाधिकारी के मुताबिक 8971 परिवार इस परियोजना से प्रभावित हुए। इसमें 3627 परिवार को एक स्थान से दूसरे स्थान पर विस्थापित करना ही पड़ेगा। इसके लिए तीन सदस्यीय सात टीम ने 20 दिन में सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी, जिसके अनुसार विस्थापित परिवार को किसी अन्य स्थान पर 50 वर्गमीटर से लेकर 500 वर्गमीटर तक की जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। 

उनके निवास स्थान को विकसित किया जाएगा, जिसमें स्कूल, अस्पताल, बैंक इत्यादि बनाएं जाएंगे। विस्थापित परिवार के किसी एक सदस्य को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड व अन्य क्षेत्र में नौकरी अथवा पांच लाख रुपये प्रदान करने का भी प्रावधान है। इन सभी लोगों को एक पहचान पत्र भी दिया जाएगा जिस से उनको लाभ मिलने में समस्या न हो।(हि.स.)

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