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'नारी शक्ति' पुरस्कार ने दिया महिला फाइटर पायलटों को हर बुलंदी छूने का हौसला

नई दिल्ली । राष्ट्रपति कोविंद ने रविवार को नारी शक्ति पुरस्कार को भारतीय वायुसेना की लेफ्टिनेंट अवनि चतुर्वेदी, एलटीटी लेफ्टिनेंट भावना कंठ और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह को 'नारी शक्ति' पुरस्कार-2019 से सम्मानित किया। यह तीनों मिग-21 बाइसन की उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला फाइटर पायलट हैं।
महिला दिवस पर भारतीय वायुसेना ने भी ट्विट करके 'नारी शक्ति' को नमन किया है। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और एएफडब्ल्यूडब्ल्यूए की अध्यक्ष आशा भदौरिया ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, बीटीटी लेफ्टिनेंट भावना कंठ और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह को 'नारी शक्ति अवार्ड -2020' से सम्मानित होने पर बधाई दी है। यह पुरस्कार पाने वाली पहली तीन महिला पायलट हैं जिन्हें फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया है, जिन्होंने वायुसेना में कमीशन होने से पहले अपने हवाई करतब दिखाए और फिर फाइटर पायलट के रूप में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नारी शक्ति के बिना राष्ट्र शक्ति अधूरी है। महिलायें भारत की रक्षा शक्ति का अभिन्न अंग हैं। भारत की सेनाओं में उनका प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ रहा है। अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर वे हर बुलंदी को छूने की हिम्मत और हौसला रखती हैं।
मध्य प्रदेश के रीवा जिले से ताल्लुक रखने वाली अवनि चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। उन्हें दो साथियों मोहना सिंह जीतवाल और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इन तीनों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शामिल किया था। 22 वर्षीय चतुर्वेदी ने अपना पूरा प्रशिक्षण हैदराबाद की वायु सेना अकादमी से लिया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दियोलैंड से की जो मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है। उन्होंने 2014 में वनस्थली विश्वविद्यालय, राजस्थान से स्नातक करने के बाद भारतीय वायु सेना की परीक्षा भी पास  की। उनके पिता संसदीय सरकार में एक कार्यकारी इंजीनियर और माता एक गृहिणी हैं। चतुर्वेदी को टेनिस खेलना और चित्रकारी करना पसंद है। उन्हें अपने महाविद्यालय के फ्लाइंग क्लब से कुछ घंटे की उड़ान का अनुभव प्राप्त हुआ जिसने उन्हें भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। अपने प्रशिक्षण का एक वर्ष पूरा करने के पश्चात वह जून में लड़ाकू पायलट बनी। कर्णाटक से सटे बिदार से अपने प्रशिक्षण के तीसरे चरण को पूरा करने के पश्चात वह लड़ाकू जेट विमानों जैसे सुखोई और तेजस को उड़ाने में सक्षम हो जाएंगी। पुरस्कार पाने के बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी ने कहा कि अपने लिए जो भी करियर चुनें, दृढ़ निश्चयी रहें और कड़ी मेहनत करें क्योंकि इससे आपको अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
 'नारी शक्ति' पुरस्कार-2019 से सम्मानित होने वाली भावना कंठ भारत की पहली महिला फाइटर पायलटों में से एक हैं। भारत सरकार ने प्रायोगिक आधार पर महिलाओं के लिए भारत वायु सेना में लड़ाकू स्ट्रीम खोलने का निर्णय लेने के बाद इन तीन महिलाओं को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया था। मई 2019 में वह युद्ध अभियानों को करने के लिए अर्हता प्राप्त करने वाली भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बन गई। उनका का जन्म 1 दिसम्बर1992 को दरभंगा, बिहार में हुआ था। उनके पिता तेज नारायण कंठ इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मां राधा कंठ एक घरेलू महिला हैं। कालेज के दिनों में वह खो-खो, बैडमिंटन, तैराकी और चित्रकला में की भी शौकीन रही हैं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ ने नारी शक्ति पुरस्कार मिलने के बाद कहा कि इस तरह का पुरस्कार हमारे लिए एक कठिन परिश्रम है जो हम सभी की मेहनत के लिए है। यह उन सेवाओं को बहुत प्रेरणा देता है जो हम कर रहे हैं और उन सभी महिलाओं को जो भविष्य में कुछ बनने की ख्वाहिश रखती हैं।
मोहना सिंह जीतवाल भारत की पहली महिला फाइटर पायलटों में से तीसरी हैं जिन्हें भावना कंठ और अवनी चतुर्वेदी के साथ पहले लड़ाकू पायलट के रूप में घोषित किया गया था। मोहना सिंह ने एयरफोर्स स्कूल, नई दिल्ली से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज, अमृतसर, पंजाब से बीटेक किया। उनके पिता प्रताप सिंह भारतीय वायु सेना के एक जवान हैं और माता मंजू सिंह एक शिक्षिका हैं। बड़े होने के दौरान उन्हें रोलर स्केटिंग, बैडमिंटन और गायन और पेंटिंग जैसी अन्य गतिविधियों का शौक था। आज सम्मानित होने के बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह जीतवाल ने भारतीय वायु सेना को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें अब लड़ाकू विमानों में जाने का अवसर मिल रहा है। सभी को मेरा संदेश है कि वे अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रयासरत रहें।(हि.स.)

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