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लखीमपुर में दल संगठनों ने किया एनएचपीसी के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन



ओमप्रकाश तिवारी व राजेश राठी

शहर के बीचोबीच धू धू कर जलाया प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय शक्ति मंत्री और एनएचपीसी का पुतला

नदी बांध का निर्माण कर सरकार छीन रही है उनसे जीने का अधिकार

लखीमपुर। लखीमपुर शहर के मध्य स्थित अति व्यस्त रहने वाली मालपानी चार्ली में आज दोपहर 11:00 बजे वाहनों की रफ्तार को रोक कर अखिल असम छात्र संगठन, असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद और असमिया युवा मंच ने एनएचपीसी द्वारा निर्माणाधीन निम्न सुवनसिरी जलविद्युत प्रकल्प परियोजना के विरुद्ध गगनभेदी नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया । विरोध प्रदर्शन की इस कड़ी में अखिल असम छात्र संगठन और असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद ने संयुक्त रुप से इस प्राणघातक नदी बांध का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा और केंद्रीय शक्ति मंत्री आर के सिंह का तथा असमिया युवा मंच ने केंद्रीय शक्ति मंत्री आर•के•सिंह और एनएचपीसी के पुतले को धू-धू कर जला कर अपना जबरदस्त विरोध जताया । संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कल केंद्रीय शक्ति मंत्री आर के सिंह ने अगस्त 2022 में धेमाजी जिले के गेरूकामुख में एनएचपीसी द्वारा निर्माणाधीन 2000 मेगावाट की क्षमता वाले निम्न सुवनसिरी जलविद्युत प्रकल्प परियोजना से पहले चरण मैं 500 मेगावाट की बिजली उत्पन्न करने की घोषणा कर उन्होंने सत्ताधारी भाजपा सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार लखीमपुर, धेमाजी और माजुली जिले के वाशिंदे से जीने का अधिकार छीनना चाहती है । उन्होंने कहा कि अगर इस नदी बांध का निर्माण कार्य संपूर्ण हो जाता है तो फिर निसंदेह बिजली उत्पन्न करने हेतु बन रहे उक्त नदी बांध के पानी के माध्यम से लखीमपुर, धेमाजी और माजुली जैसे तीन जिले के लोगों का जीवन हमेशा के लिए काल के कारावास में बंधक हो जाएगा जिसके पश्चात काल जब चाहे तब उक्त तीनो जिलों को पानी से लबालब कर जिले मैं रह रहे प्रत्यक जीव को एक साथ सामूहिक रूप से अपना ग्रास बना सकता है । उन्होंने कहा कि एक तरफ भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को जीने का पूर्ण अधिकार देता है तो दूसरी तरफ सत्ताधारी सरकार उन्हें इस नदी बांध के माध्यम से काल का ग्रास बनाने में लगी हुई है जिसको लखीमपुर, धेमाजी और माजुली के बाशिंदे तथा कोई भी भारतीय नागरिक स्वीकार नहीं कर सकता । उन्होंने सत्ताधारी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की सुरूवात से ही इस वृहत नदी बांध के निर्माण के विरूद्ध मैं लखीमपुर, धेमाजी और माजुली के जनसमुदाय एवं जातीय संगठनों द्वारा धारावाहिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था जिसको कल केंद्रीय शक्ति मंत्री द्वारा की गई घोषणा के माध्यम से तिलांजलि दी गई । उन्होंने कहा कि सत्ताधारी सरकार उक्त गणतांत्रिक आंदोलन को कुचलकर इस नदी बांध के निर्माण कार्य को संपूर्ण कर 2000 मेगावाट की क्षमता वाले इस नदी बांध से प्रथम चरण में 500 मेगावाट की बिजली अगस्त 2022 तक उत्पन्न करने का जो मानस बना रही है जिसमें उन्हें किसी भी कीमत पर सफल होने नहीं दिया जाएगा उसके लिए चाहे उन्हें खून की होली ही क्यों ना खेलना पड़े । उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी जब सत्ता में नहीं थी उस समय राजनाथ सिंह जैसे बड़े-बड़े नेताओं ने इस नदी बांध के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर यहां की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बढ़-चढ़कर आंदोलन किया था और आज सत्ता का सुख क्या मिला वही विनाश लीला करने वाला नदी बांध एकाएक अच्छा कैसे हो गया । मात्र राजनाथ सिंह भी नहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी इस नदी बांध का विरोध कर अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाया था लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि आज सत्ता का सुख मिलने के पश्चात उनके भी स्वर बदल चुके हैं । आज के इस विरोध प्रदर्शन में अखिल असम छात्र संगठन के केंद्रीय कार्य निर्वाहक सदस्य धनमोनी दत्त, जिला सचिव स्वराज शंकर गोगोई,असम जातीयता वादी युवा छात्र परिषद के केंद्रीय सहकारी संपादक सौरव दास, जिला अध्यक्ष हिरण्य दत्त, जिला जूटीयां संपादक दिघांतो भुइयां , असमिया युवा मंच के जिला अध्यक्ष चिरंजीत बोर्दोलोई, आंचलिक अध्यक्ष दीपंकर नाथ अपने अपने कार्यकर्ताओं के साथ बढ़ चढ़कर भाग लिया ।

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