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असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन और कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को ज्ञानपीठ पुरस्कार



नई दिल्ली। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2021 और वर्ष 2022 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन तथा कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को चुना है।


भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार प्रतिभा राय की अध्यक्षता के हुई चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य माधव कौशिक, सैय्यद मोहम्मद अशरफ, प्रो। हरीश त्रिवेदी, प्रो। सुरंजन दास, प्रो। पुरुषोत्तम बिल्माले, चंद्रकांत पाटिल, डॉ। एस। मणिवालन, प्रभा बर्मा, प्रो। असगर वजाहत और मधुसुदन आनन्द शामिल थे।

नीलमणि फूकन 1933 में जन्मे असमिया कविता में विशेष स्थान रखते हैं। उनका कैनवास विशाल है, उनकी कल्पना पौराणिक है, उनकी आवाज लोक-आग्रह बोली है, उनकी चिंताएं राजनीतिक से लेकर कॉस्मिक तक, समकालीन से लेकर आदिम तक हैं। वह जिन परिदृश्यों का उदाहरण देते हैं वे महाकाव्यात्मक और मौलिक हैं वह आग और पानी, ग्रह और तारा, जंगल और रेगिस्तान, मनुष्य और पर्वत, समय और स्थान, युद्ध और शांति, जीवन और मृत्यु की बात करते हैं फिर भी उनके यहाँ न केवल एक ऋषि की तरह चिंतनशील वैराग्य है, बल्कि तात्कालिकता के साथ-साथ पीड़ा और हानि की गहरी भावना भी है। उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं। सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस प्रतिमा और फुली ठका, सूर्यमुखी फुल्तोर फाले आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।

पदमश्री फूकन को साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1981) सहित असम वैली अवार्ड (1997), साहित्य अकादेमी फैलोशिप (2002) आदि से सम्मानित किया जा चुका है। इनकी रचनाएं कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।

दामोदर मौउजो 1944 में जन्मे समकालीन कोंकणी साहित्यिक परिदृश्य का चर्चित चेहरा है। लगभग पचास साल के अपने लेखन में उन्होंने कहानियां, उपन्यास, आलोचना और बाल साहित्य की रचना की है। उनकी कहानियों में प्रेम का प्रबल प्रवाह है। मौउजो की कहानियां स्त्री केन्द्रित हैं और उनमें स्त्री का साहसी चरित्र उभरता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में मानवीय संबंधों, सामाजिक बदलावों जातिवाद आदि मुद्दे प्रमुखता से आये हैं।

दामोदर मौउजो की छह कहानी संग्रह, चार उपन्यास, दो आत्मकथात्मक कृतियाँ और बालसाहित्य प्रमुख है। अंगवान, खिल्ली, कर्मेलिन, सूद, गोयेम्बाब और सुनामी सिमोन आदि प्रमुख प्रकाशित कृतियां हैं। मौउजो को साहित्य अकादेमी पुरस्कार, गोवा कला अकादेमी साहित्य पुरस्कार, कोंकणी भाषा मंडल साहित्य पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है।(हि.स.)

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