ओम प्रकाश तिवारी व राजेश राठी
विशाल शोभायात्रा एवं भंडारे में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओ का समागम
लखीमपुर। धर्मनगरी लखीमपुर शहर के मध्य स्थित श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी मंदिर प्रांगण में श्री श्री सीतारामजी ठाकुरबाड़ी समिति के तत्वधान में श्री हनुमान जन्म महोत्सव समिति द्वारा आयोजित 16 दिवसीय श्री राम नवमी एवं श्री हनुमान जन्म महोत्सव कार्यक्रम का अखंड भंडारे एवं आवाहित देवी देवताओं की विदाई के साथ हुआ समापन । श्री राम नवमी एवं श्री हनुमान जन्मोत्सव के इस 16 दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ गत 2 अप्रैल वार शनिवार कि सुबह 6:00 बजे श्री राम चरित्र मानस के नवाह्नपारायण पाठ के साथ किया गया जिसका समापन 10 अप्रैल राम नवमी के पावन दिन को हुआ । रामनवमी के दिन श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी मंदिर प्रांगण को रंग-बिरंगे पुष्पों से नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया तत्पश्चात इस पावन अवसर पर सुबह 10:51 पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म महोत्सव बड़े हर्ष और उल्लास के साथ गगनभेदी जयकारे लगाने एवं स्तुति करने के पश्चात आरती व प्रसाद वितरण कर मनाया गया। इतना ही नहीं रामनवमी के दिन अर्थात 10 अप्रैल की शाम 5:00 बजे से तिनसुकिया से आमंत्रित की गई तिनसुकिया सुंदरकांड समिति के द्वारा विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां एवं नृत्य के साथ संगीतमय सुंदरकांड पाठ का भव्य आयोजन आयोजक समिति द्वारा किया गया था तथा 11 अप्रैल की रात्रि 8:00 से 11:00 तक स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन संध्या एवं 12 अप्रैल की रात्रि 7:30 बजे से लखीमपुर की श्री सुंदरकांड सत्संग मंडल द्वारा श्री सुंदरकांड का पाठ किया गया था। इसके पश्चात श्री हनुमान जन्म महोत्सव के पावन अवसर पर 13 अप्रैल कि सुबह 5:30 बजे से 16 अप्रैल की सुबह 8:15 बजे तक श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी मंदिर प्रांगण में श्री हनुमान जी महाराज के विजय मंत्र "श्री राम जय राम जय जय राम" का अखंड हरि कीर्तन ढोलक, ताल इत्यादि जैसे वादक बजाकर अलग-अलग कीर्तन पार्टियों के द्वारा मधुर मधुर स्वरों में किया गया । इतना ही नहीं इसके अलावा इस अनुष्ठान यज्ञ में पूजा पाठ करवा रहे 27 पंडितो के द्वारा पूजा पाठ के साथ साथ अखंड हवन (यज्ञ), अखंड हनुमत ज्योति, अखंड हनुमान चालीसा पाठ, अखंड सुंदरकांड पाठ, इत्यादि सुचारू रूप से किए जा रहे थे । श्री हनुमान जन्म महोत्सव के पावन अवसर पर आयोजित इस यज्ञ अनुष्ठान को 27 पंडितो ने 27 ही यजमानों द्वारा नियमित रूप से पूजा पाठ करवा कर संपन्न करवाया। तत्पश्चात हनुमान जी महाराज के विजय मंत्र "श्री राम जय राम जय जय राम" के अखंड हरिकीर्तन की समाप्ति के बाद सुबह 7 बजे से 8:15 बजे तक "हरी शरणाम" का कीर्तन किया गया एवं उसके पश्चात सुबह 8:15 बजे से 9:15 बजे तक मन्दिर परिसर में किए जा रहे अखंड हवन (यज्ञ) की पूर्णाहुति एवं आरती कर प्रसाद वितरण किया गया । इतना ही नही श्री हनुमान जन्म महोत्सव के दिन की दोपहर 2:00 बजे श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी समिति एवं श्री हनुमान मंदिर समिति के तत्वधान में दोनों मंदिरों की श्री हनुमान जन्मोत्सव समिति ने संयुक्त रुप से एक विशाल शोभायात्रा निकाली जो श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर लखीमपुर शहर के मुख्य मार्गो से हाथों में लाल झंडे लेकर गगनभेदी जयकारों एवं भागवतमय कीर्तन एवं स्तुति करते हुए श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में जाकर सिमट गई । श्री हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर निकली इस विशाल शोभायात्रा में कई हजारों की संख्या में राम भक्तों ने अपने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को दोपहर 1:00 बजे बंद करके बढ़ चढ़कर अंश ग्रहण किया । उसके पश्चात् इस अनुष्ठान के अंतिम एवं समापन के दिन दोनो जगहों पर अर्थात श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी मंदिर और श्री हनुमान मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन श्री हनुमान जन्मोत्सव की दोनों समितियों के द्वारा किया गया था जिसमें कई हजारों श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया। तत्पश्चात श्री श्री सीताराम जी ठाकुर बाड़ी मंदिर में चल रहे 16 दिवसीय इस अनुष्ठान का समापन रात्रि 8:00 बजे आवाज सभी देवी देवताओं को विदाई देने के पश्चात किया गया । मालूम हो की विगत दस वर्षो के अंतराल के पश्चात हुऐ इस अखण्ड हरिकीर्तन, अखण्ड हवन (यज्ञ), ईत्यादि जैसे धार्मिक कार्यक्रमों के साथ आयोजित किए गए इस अनुष्ठान के कारण लोगों में श्री हनुमान जन्म महोत्सव को लेकर काफी उत्साह भी देखा गया । श्री श्री सीताराम जी ठाकुर बाड़ी समिति के तत्वधान में श्री हनुमान जन्म महोत्सव समिति द्वारा आयोजित इस विशाल अनुष्ठान मैं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने हेतु श्री श्री सीताराम जी ठाकुरबाड़ी के सचिव सुशील शर्मा के आलावा श्री हनुमान जन्म महोत्सव समिति कार्यकर्म के मुख्यसंजयोक गोपाल राठी, सह संयोजक मनोहर लाल लखोटिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। इस सम्पूर्ण अनुष्ठान के मुख्य आचार्य श्री मार्कंडेयजी उपाध्याय एवं श्री धनराजजी उपाध्याय थे।
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