शादी की सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं
शुभकामनाएं एवं प्रणाम:
प्रीति सिंघल
स्नेहा सिंघल
बीनीत अग्रवाल
हीया अग्रवाल
जन्म दिन एवं मांगलिक कार्यों में वंचित लोगों को अपनत्व प्रदान करें
हर बुद्धि जीवि एवं साहित्यकार का दायित्व है कि समाज में व्याप्त कुप्रथा एवं बुराईयों के खिलाफ आवाज उठायें भले ही बंद ना हो लेकिन लोगो में शर्म एवं भय अवश्य पैदा होता है.अंग्रज चले गए लेकिन हर भारतीय संस्कृति को चोट पहुंचाने वाली कुप्रथा यहाँ छोड़ गए लेकिन अच्छी अच्छी चीजें साथ ले गए.हमारी शिक्षा चिकित्सा संस्कृति एवं अन्य परंपरागत संस्कार इतने दुषित कर दिए कि आज आजादी के 75 साल बाद भी हमें ढूंढ ढूढ़ कर ढांचा बदलना पङ रहा है.
जन्म दिन तथा अन्य मांगलिक अवसरों पर हमें सत्संग करवाना चाहिए ताकि घर में व्याप्त तनाव बिमारी एवं नकारात्मक भावों का नाश हो सके तथा सभी लोग अपने धर्म संस्कृति एवं परंपरा के रुबरु हो सके. जहाँ जहाँ सत्संग कार्यक्रम की आवाज पहुचेगी वहाँ के लोगों का भी कल्याण होगा.अपनी क्षमता एवं भक्ति के अनुसार आमंत्रित अतिथियों के साथ ही बाहर के वंचित लोगों में मिष्ठान अथवा प्रसाद वितरित करें तो निश्चित रूप से जन्म दिन मनाने वाले के साथ पूरे परिवार का कल्याण होगा.केक काटना भारतीय संस्कृति में कहीं भी नहीं है लेकिन आजकल तो हर छोटे छोटे कार्यक्रम में केक काटते हुए लोग नजर आते हैं. केक की जगह जितने चाहे दीपक जलायें उसके प्रभाव से कीङे मकोड़े एवं किटाणु नष्ट होंगे वातावरण शुद्ध होगा. मोमबत्ती से वातावरण एवं मन दोनों दुषित होते हैं. यदि देशी घी का दीपक जलाया जाए तो आक्सीजन मिलती है.
यदि एक साथ सौ दीपक जलाया जाए तो यज्ञ हवन की भी जरूरत नहीं पङती.गायत्री परिवार में तो इसे दीप यज्ञ कहा जाता है. भारतीय संस्कृति हमारी सरकार नहीं बचा सकती इसके लिए हर भारतीय का योगदान जरूरी है.यदि हम स्वयं संस्कृति बचाने के लिए पहल करते हैं तथा अन्य लोगों को प्रेरित कर सकते हैं तो बहुत बड़ा सामाजिक कार्य होगा.
यदि कुछ हिस्सा हम वंचित लोगों के लिए खर्च कर सकते हैं तो कम से कम एक समय का भोजन तो 10/20 अथवा अधिक लोगों को दे ही सकते हैं.उनका आशीर्वाद मिलेगा. बादल का काम बरसना होता है निर्भर उन पर करता है जो बर्षा के अमूल्य जल का कैसे सदुपयोग करते हैं.
मदन सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो.9435073653
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