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बोरे में बंद शवों के अंगों को देखकर भी लग रहा था डर,बस कर दिया अन्तिम संस्कार



नई दिल्ली। बस मेडिकल तौर पर विश्वास होने पर ही हम क्षत-विक्षत अपनों के शवों का अन्तिम संस्कार कर रहे हैं। शवों के अंगों को देखकर भी डर सा लग रहा है। यह विडंबना ही है कि जिसको हमने कुछ दिन पहले हंसता हुआ देखा था। आज उसके शरीर के कुछ अंगों को बोरे में बंद करके शमशान घाट लाकर उसका अन्तिम संस्कार कर रहे हैं।

सरकार ने भी आश्वासन दिया था लेकिन वो भी झूठा ही लग रहा है। आज जो हमारे अपने हादसे की चपेट में आए हैं उनको बस इंसाफ मिले और आरोपितों को सजा। अब देखते हैं कि पुलिस अपना काम कितने निष्पक्ष तरीके से करती है। मुंडका अग्निकांड की चपेट में आए कर्मचारियों के परिजनों ने कहा कि आज 28 दिन हो गए हैं। पुलिस और सरकारी विभाग के अधिकारियों ने एक बार भी उन परिजनों से बातचीत नहीं की,जिनके कमाने वाले अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं।

बोरे में बंद करके तीन बहनों के अंग लेकर अन्तिम संस्कार के लिये पहुंचा भाई मुंडका अग्निकांड में की चपेट में आई मधु,पूनम और प्रीति बहनों के शवों को संजय गांधी अस्पताल में गुरुवार सुबह उसके भाई अरुण व परिजनों को सौंप दिये गए। तीनों के शवों को पहचानने के लिये उनके पापा राकेश कुमार और चाचा महिपाल का डीएनए लिया गया था। जिसके बाद शवों की पहचान हो पाई थी। भाई अरुण ने बताया कि बहनों के अंग बोरे में पड़े थे।

पहचानने में भी नहीं आ रहे थे कि शव किस बहन का था। छोटे छोटे अंग बोरे में बांध रखे थे। जिनको देखकर भी डर सा लग रहा था। जिन बहनों को वह सबसे प्यार करता था। जिनके साथ मजाक करता था। आज उनके क्षत-विक्षत हालत में पड़े अंगों का अन्तिम संस्कार परिजनों के साथ किया है। अंगों को देखकर परिजनों की भी रूह कांप गई थी। अंगों को देखकर नहीं पता चल रहा था वह था क्या। बिल्कुल काले पड़े हुए थे।

बहन का शव मिला जरूर लेकिन देखने की हिम्मत नहीं हुई-मोनी परवेश नगर में रहने वाली मोनी ने बताया कि परिवार में मां गायत्री और मैं मोनी व बहन पूजा थी। पूजा कॉलेज में पढाई के साथ साथ तीन महीने से कंपनी में काम कर रही थी। उस दिन वह फोन घर पर ही छोडक़र गई थी। उसका कुछ नहीं पता चल पा रहा था। रोज अस्पताल आते थे।

मम्मी ने डीएनए दिया था तो अब पूजा का जो शव मिला वो बोरे में बंद था। थोड़ा बड़ा सा शरीर का अंग था। जिसका हमने शमशान घाट में बिना देखे ही अन्तिम संस्कार कर दिया। हमारी देखने की हिम्मत भी नहीं हुई थी। लेकिन जो बहन का शव मिला वो बिलकुल काला पड़ा था। अब बस यह सकून हो गया है कि हमने अपनी बहन का अन्तिम संस्कार कर दिया है। जिसके लिये पिछले 27 दिनों से अस्पताल के चक्कर काट रहे थे।

जल्द ही बाकी शवों को उनके परिजनों को दे दिया जाएगा पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शवों को डीएनए मेच होने के बाद देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आने वाले दिनों में सभी को उनके शवों को दे दिया जाएगा। वह शवों को जल्द से जल्द उनके परिवार को सौंपना चाह रहे हैं। वह भी परिजनों का दर्द भालिभांति समझ रहे हैं। शवों का पहचानना नामुमकिन है। क्योंकि शव पूरे नहीं हैं।

अभी तक नहीं पता मीटिंग में कितने कर्मचारी थे मौजूद जिस दिन हादसा हुआ। उस दिन मीटिंग में कितने कर्मचारी मौजूद थे। इसपर आज भी एक सस्पेंस बना हुआ है। पुलिस और परिजनों के आंकड़ों में काफी अंतर है। पुलिस आज भी पचास से ज्यादा लोगों की पहचान नहीं कर पाई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनके पास जितनी शिकायतें मिली हैं।

उसके हिसाब से परिजनों द्वारा बताया जा रहा आकड़ा काफी कम है। जबकि परिजनों का कहना है कि हमारे आज तक लापता है। जिनका कुछ पता नहीं चल पा रहा है। जबकि सवा सौ के करीब लोगों ने अपने अपने डीएनए दिये हैं। पुलिस को गोयल ब्रदर्स के बैंकों की डिटेल लेनी चाहिए। जिससे पता लग पाए कि आखिर उसकी कंपनी में कितने कर्मचारी मौजूद थे। पुलिस अपनी जांच को काफी सुस्तपने से आगे बढ़ा रही है। जिसको लेकर वह अब सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं।

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