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भाषा से साहित्य की रचना होती है: राज्यपाल कटारिया


गुवाहाटी। सुर संगम नमक राजस्थानी गीतों की पुस्तक का आज मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में विमोचन कर मारवाड़ी सम्मेलन की कामरूप शाखा ने हमें अतीत से जोड़ने का काम किया है। भाषा अतीत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य को जोड़ती है। भाषा से साहित्य की रचना होती है। यह संबोधन असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने मारवाड़ी सम्मेलन कामरूप शाखा द्वारा मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में सुर संगम राजस्थानी गीतों का संग्रह पुस्तक के विमोचन के पश्चात अपने संबोधन मे कही। राज्यपाल ने राजस्थानी गीतों के बारे में बोलते हुए कहा कि कन्हैया लाल सेठिया ने राजस्थानी भाषा में कविता के माध्यम से पूरे राजस्थान को समेट कर रख दिया है। मारवाड़ी गीत सिर्फ गाने के लिए नहीं होते हैं बल्कि उनके हर शब्द में एक अर्थ छुपा होता है। असम के प्रवासी राजस्थानियों की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान से डेढ़ सौ- दो सौ वर्ष पहले बिना कोई सुविधा व संसाधनों के असम में आकर आज मारवाडी अपने आप को यहां की संस्कृति में रचा बसा कर दूध में शक्कर की तरह धुल गए हैं। इसके बावजूद भी ये अपने अतीत को नहीं भूले हैं। हम अपनी जन्मभूमि के साथ कर्मभूमि में भी अपने आदर्शों को स्थापित कर लेते हैं। असमिया संस्कृति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि असम में मारवाड़ी के साथ असमिया संस्कृति का भी सामंजस्य करके स्थानीय संस्कृति को भी अपना कर बढ़ावा देना चाहिए। इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश काबरा, विशिष्ठ अतिथि शिक्षाविद जितेंद्र जैन, प्रांतीय महामंत्री विनोद लोहिया, शाखा अध्यक्ष दिनेश गुप्ता, मंडलीय उपाध्यक्ष सुशील गोयल, पूर्व प्रांतीय महामंत्री अशोक अग्रवाल, प्रदीप भुवालका, महिला शाखा अध्यक्ष संतोष शर्मा, अग्रवाल युवा परिषद के अध्यक्ष आदर्श अग्रवाल बरपेटा शाखा अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल, पुस्तक के गीतों के संकलनकर्ता संदीप चमडिया और शाखा सचिव संजय खेतान ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शाखा अध्यक्ष के स्वागत संबोधन के पश्चात संदीप चमडिया ने मातृभाषा एवं मारवाड़ी विवाह गीत के विषय में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत करते हुए सुनीता गुप्ता ने उनको तिलक लगाया तथा निरंजन सिकरिया ने उनको दुपट्टा व विनोद लोहिया, संपत मिश्र उमाशंकर गट्टाणी ने भगवान गणेश की प्रतिमा राज्यपाल को भेंट की। विशिष्ठ अतिथि जितेंद्र जैन ने अपने संबोधन में कहा कि जिन पहलुओं को हमारे जीवन पर प्रभाव रहता है वे सारे पहलू राजस्थानी गीतों में होते हैं। रस के बिना जीवन नहीं है। सारे रस मारवाड़ी गीतों में होते है। इन गीतों में प्रेम कूट-कूट कर भरा रहता है। वीर रस, श्रृंगार रस, प्रकृति रस, मानवीय संवेदना रस सभी मारवाड़ी गीतों में समाहित रहते हैं। मगर वर्तमान की परिस्थितियों में मरवाडियों की शादियों में होने वाले गीत सम्मेलनों में मारवाड़ी गीतों का कोई स्थान नहीं होता है। जो एक गंभीर चिंता का विषय है। मारवाड़ी सम्मेलन को इस समस्या पर चिंतन की आवश्यकता है। कार्यक्रम में संदीप चमडिया, संतोष शर्मा और राहुल शर्मा ने मारवाड़ी गीतों की प्रस्तुति दी। कंचन शर्मा ने मारवाड़ी शब्दकोश ज्ञान पर उपस्थित सभासदों को कई प्रश्न पूछ कर उनका अर्थ बताया। समारोह का संचालन सम्मेलन के प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) रमेश चांडक ने किया।

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