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उमेश खंडेलीया द्वारा संपादित ग्रंथ "कीर्तिसुवास" का प्रकाशन

 

17 मार्च 2023 को उत्तर लखीमपुर साहित्य सभा के सभागार में दो शताधिक प्रबुध्द लेखक, बुद्धिजीवी व समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति में मारवाड़ी सम्मेलन उत्तर लखीमपुर शाखा के शानदार आतिथ्य में उमेश खंडेलीया द्वारा संपादित ग्रंथ "कीर्तिसुवास" का विमोचन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कीर्तिसुवास का प्रकाशन पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन मण्डलीय समिति (मण्डल ग) व प्रकाशन कोष साहित्य सभा उत्तर लखीमपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। उत्तर लखीमपुर साहित्य सभा के सभापति डॉ मुकुंद राजवंशी के सभापतित्व में डिब्रूगढ़ से पधारे विशिष्ठ अतिथि मूर्धन्य लेखक देवी प्रसाद बागड़ोदिया के कर कमलों से कीर्तिसुवास का विमोचन हुआ।


आज की सभा के मंच पर मंचासीन थे साहित्य सभा उत्तर लखीमपुर के सभापति डॉ मुकुंद राजवंशी सर , साहित्य सभा उत्तर लखीमपुर – प्रकाशन कोष की सभापति राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित विज्ञान लेखिका, शिक्षाविद डॉ अमिया राजवंशी बाईदेऊ, साहित्य सभा उत्तर लखीमपुर – प्रकाशन कोष की सचिव डॉ बोन्ति गोगोई हाउबोरा बाईदेऊ, पुप्रमास मण्डलीय समिति के अध्यक्ष छत्तर सिंह गिरिया, डिब्रूगढ़ से पधारे विशिष्ठ अतिथि मूर्धन्य लेखक देवी प्रसाद बागड़ोदिया, मारवाड़ी सम्मेलन लखीमपुर शाखा के अध्यक्ष बलवान शर्मा व ग्रंथ "कीर्तिसुवास के संपादक उमेश खंडेलीया। 


कार्यक्रम का शुभारंभ पुप्रमास मण्डलीय समिति (ग) के सचिव राज कुमार सराफ द्वारा तीन बार ॐ मंत्र उच्चारण और डॉ अमिया राजवंशी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। सभी मंचासीन प्रबुद्ध जनों का मारवाड़ी सम्मेलन व साहित्य सभा द्वारा असमिया जाति के प्रतीक फुलाम गमछा, छेलेंग चादर , स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। सभा के सभापति डॅा मुकुंद राजवंशी , विशिष्ट अतिथि देवी प्रसाद बागडोदिया व संपादक उमेश खंडेलीय का दुशाला से विशेष सम्मान किया गया। 


पुप्रमास मण्डलीय समिति के ओर से छत्तर सिंह गिरिया ने अपना स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। डॉ अमिया राज वंशी व डॉ बोन्ति गोगोई हाउबोरा ने अपना वक्तव्य सभा के समक्ष रखा गया तथा कीर्तिसुवास ग्रंथ के प्रकाशन के उदेश्य पर प्रकाश डाला। पुस्तक विमोचन के अवसर बागडोदियाजी ने व खण्डलिया जी ने बहुत सारगर्भित वक्तव्य सभा के समक्ष रखा। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग प्रदान करने वाले सहयोगियों व पुस्तक में प्रकाशित लेखों के लेखकों का भी स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। कीर्तिसुवास के लेखन कार्य से लेकर प्रकाशन व विमोचन तक सभी कार्यो में निष्ठा के साथ पूर्ण सहयोग प्रदान करने पर उमेश खण्डलिया ने जोगेश काकोती का उल्लेख करते हुए उसका मंच पर विशेष सम्मान किया। उल्लेखनीय है कि कीर्तिसुवास में 25 लेखकों द्वारा असमिया -मारवाड़ी समाज के 37 कीर्ति पुरुषों के कर्ममय जीवन के बारे में उनके जीवन वृतांत आधारित लेख लिखे गए है। इस अवसर पर डिब्रूगढ़ के सुरेश अग्रवाल व विहपुरिया के जुगल महेश्वरी द्वारा असमिया भाषा स्वरचित कविता का पाठ किया गया। डिब्रूगढ़ से पधारे राज कुमार अग्रवाल ने विशिष्ट अतिथि देवी प्रसाद बागडोदिया के जीवन परिचय प्रस्तुत किया। 


आज के कार्यक्रम में डिब्रूगढ़ , धेमाजी , धेमाजी महिला , बिहपुरिया , नारायणपुर, बन्दरदेवा शाखा के अध्यक्ष - सचिव सहित प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य ओम प्रकाश पचार , दुर्गा दत्त राठी, माणिक लाल दम्माणी सभा में उपस्थित थे। आतिथ्य शाखा उत्तर लखीमपुर के अध्यक्ष बलवान शर्मा, आज के कार्यक्रम के संयोजक नरेश दिनोंदिया , सचिव रंजू शाह एवम शाखा कार्यकारिणी सदस्य एवं समाजिक कार्यकर्ता जुगल राठी ,आनंद अग्रवाल ने आज के कार्यक्रम की व्यवस्था बड़े ही सुव्यवस्थित ढंग से की। सभापति डॉ मुकुंद राजवंशी ने अपने सभापति मन्तव्य में असमिया - मारवाड़ी समाज के समन्वय स्थापना में कीर्तिसुवास के महत्च को उजागर किया। 


सभा समाप्ति के अवसर पर उत्तर लखीमपुर साहित्य सभा के सचिव पदमेश्वर चुतिया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। राष्ट्रीय गीत के साथ सभा समाप्त हुई।

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