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टैक्स बार एसोसिएशन ने जीएसटी पर व्यापार संघों के साथ संयुक्त बैठक आयोजित की

 


गुवाहाटी। टैक्स बार एसोसिएशन, गुवाहाटी ने छत्रीबाड़ी केसी रोड स्थित जीएमटीए ऑडिटोरियम में "जीएसटी नोटिस, डिमांड ऑर्डर और अन्य मुद्दों" पर विभिन्न व्यापार संघों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की।


टैक्स बार एसोसिएशन के सचिव एवं संयुक्त बैठक के संयोजक सीए गोपाल सिंघानिया ने अपने स्वागत भाषण से बैठक की शुरुआत की और बैठक का उद्देश्य बताया। बैठक की अध्यक्षता टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता ब्रजेश कुमार शर्मा ने की। अपने संबोधन में उन्होंने बैठक के विषय के महत्व की जानकारी दी और उम्मीद जताई कि इस बैठक से इसमें भाग लेने वाले सभी संघों को मदद मिलेगी। अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष सीए बिकास अग्रवाला ने जीएसटी कानूनों में निहित विभिन्न वैधानिक प्रावधानों के बारे में बताया।


गुवाहाटी मोटर-पार्ट्स ट्रेडर्स एसोसिएशन, लघु उद्योग भारती, असम फार्मास्युटिकल एसोसिएशन, नॉर्थ ईस्टर्न गारमेंट ट्रेडर्स एसोसिएशन, गुवाहाटी सेनेटरी एंड हार्डवेयर मर्चेंट्स एसोसिएशन, गुवाहाटी इलेक्ट्रिक मर्चेंट्स एसोसिएशन, फैंसी बाजार हार्डवेयर मर्चेंट्स एसोसिएशन, असम ड्रग डीलर्स एसोसिएशन, रेडीमेड गारमेंट्स डीलर्स एसोसिएशन, आदि ने टैक्स बार एसोसिएशन, गुवाहाटी द्वारा आयोजित संयुक्त बैठक में भाग लिया। बैठक में इन संघों के 50 से अधिक पदाधिकारियों और सदस्यों ने भाग लिया और जीएसटी कानूनों, विशेष रूप से जीएसटी नोटिस, मांग आदेश और जीएसटी के तहत नए पंजीकरण के अनुपालन में व्यापार और उद्योग के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा की। सभी भाग लेने वाले संघों ने अपने-अपने सदस्यों के सामने आने वाली समस्याओं को रखा। बैठक में सभी मुद्दों को शामिल करते हुए एक संयुक्त ज्ञापन तैयार करने और उसे अगले सप्ताह तक प्रधान राज्य कर आयुक्त, असम और जीएसटी परिषद को संयुक्त रूप से सौंपने का निर्णय लिया गया।


बैठक में सीए गोपाल सिंघानिया और सीए बिकास अग्रवाला ने प्रतिभागियों को जीएसटी कानूनों के उचित अनुपालन के लिए कुछ दिशानिर्देशों का पालन करने की भी जानकारी दी। सचिव सीए गोपाल सिंघानिया ने कहा कि वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए थोक जीएसटी नोटिस और डिमांड ऑर्डर द्वारा बनाई गई घबराहट की स्थिति के अलावा, जीएसटी कानूनों में कुछ अजीब प्रावधान हैं जिन्होंने छोटे और मध्यम व्यापार उद्यमों को बुरी तरह प्रभावित किया है। और इन उद्यमों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने के लिए ऐसे सभी प्रावधानों में तत्काल संशोधन की आवश्यकता है। ऐसे सभी मुद्दों को उचित समाधान के लिए जीएसटी परिषद को भेजा जाएगा।

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