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शिवसागर आंदोलन ने जोर पकड़ा, व्यापारियों में भय का माहौल, श्रृंखल चलिहा पर दूसरी एफआईआर दर्ज, अल्फा की एंट्री ने बढ़ाई चिंता

 


गुवाहाटी। शिवसागर में बीते मंगलवार को राष्ट्रीय स्तर की पंजा खिलाड़ी नाबालिक युवती के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त हो गया था। एक सीसीटीवी फुटेज के अनुसार तीन गैर असमिया लोगों ने उक्त युवती के साथ मारपीट करते हुए कई तरह की धमकी दी। जिसके चलते वीर लचित सेना के साथ 30 से अधिक संगठनों ने घटना की निंदा करते हुए अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की शुरुआत की। स्थानीय संगठन की ओर से गैर असमिया समुदाय के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन की आग अब तेजी से फैल रही है। शहर में बिगड़ते माहौल के बीच आज सोमवार को स्थिति अधिक तनावपूर्ण हो गई। जब हजारों की संख्या में 30 से अधिक स्थानीय जातीय संगठनों के सदस्य सड़कों पर उतर कर गैर असमिया लोगों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने की मुहिम छेड़ दी। यह बंद गैर असमिया लोगों का आंदोलन में हिस्सा न लेने की वजह से तथा घटना की निंदा न करने की वजह से शुरू हुआ था। आंदोलन ने तीव्र रूप उस समय ले लिया जब सोमवार को व्यापारी अपने प्रतिष्ठान खोलने के लिए पहुंचे। इस बीच सुबह 10:00 बजे शिवसागर के 30 जातीय संगठनो ने ऐतिहासिक शिव दौल प्रांगण में एकत्रित हुए और वहां से विरोध जुलूस निकाला एवं उनकी मांगों को न मानने तक अनिश्चितकाल के लिए गैर असमिया लोगों के प्रतिष्ठानों को बंद करवा दिया। इन 30 जातीय संगठनों में मुख्य अखिल ताई आहोम छात्र संस्था, वीर लाचित सेना, असमिया युवा मंच, संग्राम युवा परिषद, ऊपरी असम मुस्लिम कल्याण परिषद, जातीय संग्रामी सेना असम सहित कई संगठनों ने भाग लिया। इस अवसर पर पुलिस प्रशासन ने भी पूरी तरह से सुरक्षा की तैयारी कर ली थी और विभिन्न जगहों पर अवरोध लगाकर प्रदर्शनकारियों को गैर असमीया क्षेत्र मे जाने से रोका। दुसरी तरफ इस आन्दोलन मे अल्फा की एंट्री ने मुश्किलें बढ़ा दी। शिवसागर के तीस से भी अधिक जातीय संगठनों के बाद प्रतिबंधित संगठन अल्फा (आई) ने भी शिवसागर आंदोलन में अपनी एंट्री कर दी है। अल्फा ने एक सूचना पत्र जारी करते हुए श्रृंखल चलिहा को अपना समर्थन देते हुए उसके खिलाफ गुवाहाटी के दिसपुर पुलिस थाने में जो गौरव सोमानी की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई उसे फिर को वापस लेने की चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द अपनी एफआईआर को वापस ले लें वरना कोई भी विषम परिस्थिति पैदा हो सकती है। एक एफआईआर के कारण सभी गैर असमिया लोगों को इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। तथा इसके लिए असम पुलिस प्रशासन जिम्मेदार होगा। अल्फा की इस धमकी के बीच सोमवार को श्रृंखल चालीहा के खिलाफ दूसरा मामला भी दर्ज हो गया।सर्व हिंदुस्तानी युवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर सिंह ने नगर के भरलुमुख पुलिस थाने में एक मामला दर्ज कराया। शंकर सिंह ने कहा कि चलिहा ने असम में बरसों से रह रहे लाखों मारवाड़ी, भोजपुरी, बंगाली समाज के लोगों के बीच जहर घोलने का काम कर रहा है। उसने धार्मिक व समाजिक संगठनों को बंद करने तक की धमकी दे दी है। जिसमें चेंबर ऑफ कॉमर्स भी शामिल है।वह असम का सामाजिक सद्भाव भंग करने का प्रयास कर रहा है। सोमवार के विरोध प्रदर्शन में आटसू के केंद्रीय अध्यक्ष बसंत गोगोई, लाचित सेना के नेता श्रृंखला चलिहा, असमिया युवा मंच के विष्णु सईकिया, संग्रामी युवा छात्र परिषद की देबोजित गोगोई सहित विभिन्न नेताओं ने बार-बार गैर असमिया समुदायों को अब शब्द कहते हुए धमकाया और उन्होंने कहा कि जब तक उन लोगो की मांगों को नहीं मानेंगे तब तक उनके व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोलने नहीं दिया जाएगा। इन नेताओं ने जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से भी कहा कि वे असमिया होने के नाते गैर असमिया लोगों का नहीं बल्कि आंदोलनकारीयो का साथ दें। प्रसिद्ध शिव मंदिर शिवदौल से होते हुए यह विरोध प्रदर्शन मुक्तिनाथ चाराली, बोर्डिंग रोड, एसटीसी होते हुए स्टेशन चाराली तक निकला। इस विरोध प्रदर्शन के गुजरने के कारण पूरे शहर में भय और आतंक का माहौल देखा गया। जिसके चलते शहर में सन्नाटा फैल गया और गांव से शहर में बाजार करने आए लोग ऐसे माहौल को देख अपने घरों को लौट गए। हालांकि इस संबंध में गैर असमिया लोगों की तरफ से भी समस्या के समाधान के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई भी समाधान होता नजर नहीं आ रहा है। लोगों को यह डर है कि कहीं यह आंदोलन धीरे-धीरे फैलते हुए पूरे असम को अपनी चपेट में ना ले ले। अभी तक तो यह शिवसागर क्षेत्र तक ही सीमित है। शिवसागर के व्यापारी अभी तक अपने भविष्य को लेकर चिंतित है उक्त घटना मारवाड़ी बहुल बाबू पट्टी इलाके में गठित होने से यहां के व्यापारियों को अत्याधिक भय और चिंता लगी हुई है।

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