निखिल मुंदडा
होजाई। महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की 456 वीं पुण्यतिथि पर होजाई जिले के शंकरदेव नगर में उनकी मूर्ति का अनावरण हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस दौरान भारी संख्या में हर जाति, जन्गोष्ठी के लोग यहां उपस्थित हुए। मूर्ति का अनावरण होजाई के पूर्व विधायक व श्रीमंत शंकरदेव समन्वय क्षेत्र के अध्यक्ष शिलादित्य देव ने माल्या अर्पण के साथ किया, व दीप प्रज्वलित रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के उपकुलपति मानवेंद्र दत्त चौधरी, असम सत्र महासभा के मुख्य सचिव कुसुम महंत सहित कई गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। इस दौरान पेपा, ढोल आदि की ध्वनि से वातावरण सकारात्मक हो रहा था। हमारे संवाददाता से बात करते हुए होजाई के पूर्व विधायक व श्रीमंत शंकरदेव समन्वय क्षेत्र के अध्यक्ष शिलादित्य देव ने कहा असम शंकरदेव, माधवदेव की भूमि थी है और रहेगी। उन्होंने कहा श्रीमंत शंकरदेव भक्ति आंदोलन से जुड़े हुए एक महापुरुष थे जिनकी तुलना हमें गुरु नानक, महाप्रभु, गौतम बुद्ध से कर सकते है। शिलादित्य देव ने कहा कि यह असम की पहली मूर्ति है जो की होजाई में स्थापित हुई है। जो की ऐतिहासिक व स्वर्णिम दिन है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है श्रीमंत शंकर देव की विचारधारा उनकी वाणी, आदर्शो, असमिया जाति के गठन की प्रक्रिया में उनकी भूमिका को जन-जन तक पहुंचना है, खास तौर पर आने वाली पीढ़ी जाने व उसका अपने जीवन में अनुसरण करें। उन्होंने कहा विष्णु प्रसाद राधा देव ने गहन अध्ययन कर कर उनकी एक काल्पनिक तस्वीर तैयार की थी।उसी के आधार पर हमारे मूर्तिकार भूवन डेका राजा ने इसे तैयार की है। उन्होंने बताया जब 2020-21 के दौरान जब वे होजाई के विधायक थे तब विधायक पूंजी से इसके निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ था। यह हमारे जिला आयुक्त के कार्यालय के सामने हर्बल पार्क में स्थापित की गई है। हम सरकार से निवेदन करेंगे कि इस हर्बल पार्क का नामकरण श्रीमंत शंकरदेव उद्यान करें ।जिससे इस इलाके का विकास हो।दूर दराज से लोग यहां उनके आदर्शो को जानने के लिए पहुंचे। देव ने कहा कि हम चाहते हैं कि श्रीमंत शंकर देव को हम सदियों सदियों तक याद रखें। उनकी विचारधारा उनके आदर्श सदैव हमारे बीच रहे। उन्होंने कहा कि आज 11 जनगोष्ठी के लोगो की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को सफल बना दिया।
वहीं दूसरी और हमारे संवाददाता से बात करते हुए असम सत्र महासभा के मुख्य सचिव कुसुम महंत ने कहा कि मुझे यहां आकर बहुत ही गौरव महसूस हो रहा है कि हर जाति समुदाय के लोग यहां उपस्थित है। सही मयनों में यही श्रीमंत शंकरदेव के आदर्श है। मूर्ति के अनावरण के बाद एक सांस्कृतिक शोभायात्रा जिला आयुक्त कार्यालय के सामने से निकली जो कि शंकरदेव नगर स्थित श्रीमंत शंकरदेव सृष्टि विकास केंद्र पर जाकर समाप्त हुई। वहां पर खुली सभा का आयोजन किया गया। जहां पर अनेक विशिष्ठ जनों ने अपना वक्तव्य रखा व शंकरदेव के विचारधारा उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला। शाम को श्रीमंत शंकरदेव की 456 वीं पुण्यतिथि पर 456 दीप प्रज्ज्वलित किए गए व उनको याद किया गया।
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