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जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का संदेश: असम की गाय तस्करी रोकें, किसी भी सूरत में बाहर जाने न दें

 


गुवाहाटी। जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आज सूरजमल जुहारमल सांगानेरिया धर्मशाला में पत्रकारों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे भारत में जाकर गोध्वज प्रतिष्ठा कर गोवध रोकने के उद्देश्य से हमारी यह भारत यात्रा है। अयोध्या से भगवान राम से आशीर्वाद लेकर इस यात्रा को प्रारंभ किया गया है। जो आज गुवाहाटी में है। हिंदू समाज की समस्या दूर करने के लिए सबसे पहले गाय की समस्या दूर करनी होगी। असम में गौ को लेकर कानून तो बन गया है। लेकिन गायों की बड़ी पैमाने में तस्करी होकर बांग्लादेश की तरफ भेजा जानाव इसको रोकने का कोई ठोस उपाय नहीं हो रहा है। हमारे देश में कई राज्यों में गोवध निषेध कानून लागू है। लेकिन यह गोवध रोक नहीं पा रहा है। क्योंकि यह गोवध निषेध कानून नहीं है।बल्कि गोवध स्थल निषेध कानून है।अर्थात गाय को यहां मत मारो दूसरे राज्य में लेकर मार सकते हो। राजनेताओं की यह चाल का अब स्पष्ट होने का समय आ गया है। वन नेशन वन इलेक्शन से पहले वन नेशन वन काऊ कानून बनाना होगा। राजनीतिज्ञो का दोहरा चरित्र अच्छा नहीं होता है। हमारे समाज में एक कसाई को भी एक जाति का दर्जा देकर रखा है।अगर कोई खुलकर कह कि हम कसाई है तो हम उनका सम्मान करेंगे। मगर आज के राजनीतिज्ञ एक तरफ तो कसाई की तरह गोवध करवाते हैं और दूसरी तरफ गोवथ का विरोध कर पुजारी बन जाते हैं। अब हम यह बात स्वीकार नहीं करेंगे। शंकराचार्य ने असम प्रदेश के बारे में बोलते हुए कहा कि असम की गाय असम से बाहर किसी भी सूरत में नहीं जानी चाहिए। क्योंकि असम के नजदीक ही बांग्ला देश की सीमा लगी हुई रहती है और गायों की तस्करी करके बांग्ला देश भेजी जाती है। शंकराचार्य ने असमिया जापी पहनने को लेकर कहा कि मैं अपने पूरे प्रवचन में इस जापी को अपने मस्तक पर धारण करके रखा हूं। कारण यह जापी असम के सर्वश्रेष्ठ सम्मान के अलावा चरवाहो के खेत में काम करने की निशानी है। जो धूप और बरसात से बचने के लिए यह जापी पहनकर खेतों में काम करते हैं और गाय व बेलो की सेवा करते हैं। अतः आज में भी इस जापी को मस्तक पर धारण कर एक चरवाहा के रूप में यहां उपस्थित हूं।मुसलमानो के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान के धर्म का अभिन्न अंग गो हत्या नहीं है।वे मांस सेवन कर सकते हैं। मगर वध नहीं कर सकते।शरीयत में लिखा है कि जिसका दूध पीते हो उसका वध नहीं किया जा सकता। इससे पहले सूरजमल जुहारमल सांगानेरिया धर्मशाला में पहुंचते ही मुख्य द्वार पर सांगानेरिया धर्मशाला के ट्रस्टी इंचार्ज श्रवण सांगानेरिया, ट्रस्टी जयप्रकाश गोयंका,ओमप्रकाश खंडेलवाल, अजय सांगानेरिया, कैलाश सांगानेरिया, लोकनाथ मोर, सुशील सांगानेरिया ने शंकराचार्य को फुलाम गमछा पहना कर अगवानी कर प्रवचन स्थल तक लाया गया। कार्यक्रम के शुरुआत में आदित्य विक्रम तिवारी ने पादुका पूजन व आरती करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शंकराचार्य ने पत्रकारों के कई प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया। इस अवसर पर गो संसद विभाग के मंत्री गोपालमणी महाराज ने भी अपना प्रवचन दिया। प्रवचन में कई संत, साधु, महात्मा एवं सांगानेरिया धर्मशाला ट्रस्ट के मौनी बाबा, सनातन हिंदू आर्मी के प्रमुख मनोज डेका, पारीक सभा के पूर्व अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा पारीक के अलावा कई श्रद्धालु उपस्थित थे।

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