गुवाहाटी। असम के शिक्षा मंत्री रानोज पेगु ने बुधवार को जनता भवन में राज्य के शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कई नई योजनाओं की घोषणा की। ये पहल शिक्षक कमी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच, और डिजिटल लर्निंग संसाधनों में सुधार जैसे अहम मुद्दों को हल करने के उद्देश्य से की गई हैं।
9,000 स्थायी शिक्षकों की भर्ती
शिक्षा मंत्री ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 9,000 स्थायी शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह भर्ती नियमित और स्थायी आधार पर की जाएगी, जिससे संविदा आधारित नियुक्तियों को समाप्त किया जाएगा। रानोज पेगु ने कहा, "हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। स्थायी शिक्षक स्कूलों में स्थिरता लाएंगे।" शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए 'शिक्षा सेतु' ऐप का उपयोग किया जाएगा। यह ऐप स्कूलों को विषय-विशेष की शिक्षक कमी का सटीक डेटा सबमिट करने में मदद करेगा, जिसे स्कूल प्राचार्य सत्यापित करेंगे।
गरीब छात्रों को बड़ी राहत: 11वीं और 12वीं के प्रवेश शुल्क माफ
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (बीपीएल) के परिवारों के लिए बड़ी राहत देते हुए मंत्री ने घोषणा की कि 2024 शैक्षणिक सत्र से सरकारी और प्रांतीय स्कूलों में 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए प्रवेश शुल्क माफ कर दिया जाएगा। डॉ. पेगु ने कहा, "इस पहल से 1,145 स्कूलों में 2.5 लाख से अधिक छात्रों को लाभ मिलेगा और ₹18 करोड़ की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।"
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा
शिक्षा विभाग ग्रेड IV कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्थानीय समुदायों को प्राथमिकता देगा। इससे न केवल स्कूल प्रबंधन बेहतर होगा बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा
मंत्री ने बताया कि शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ मिलकर विषय-विशेष पर आधारित शैक्षिक वीडियो विकसित कर रहा है। ये वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध होंगे, जिससे छात्रों को कठिन विषयों को समझने में मदद मिलेगी। पेगु ने कहा, "यह पहल ऑनलाइन लर्निंग को अधिक सुलभ बनाएगी और छात्रों की समझ को बेहतर करेगी।"
स्थायी और समावेशी सुधार की दिशा में कदम
असम सरकार की ये नई योजनाएं शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता, गुणवत्ता और सुलभता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। स्थानीय समुदायों और छात्रों ने इस पहल का स्वागत किया है और इसे राज्य के शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देने वाला बताया है।
असम के शिक्षा क्षेत्र में यह बदलाव एक उज्जवल और समावेशी भविष्य की ओर इशारा करता है।
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