गुवाहाटी। दिघलीपुखरी के ऐतिहासिक और प्राकृतिक प्रवेश द्वार पर वर्षों से पसरे अतिक्रमण को हटाने के लिए गुवाहाटी नगर निगम (जीएमसी) ने गत रात व्यापक अभियान चलाया। इस अभियान में खाओ गली के नाम से मशहूर 108 अस्थाई दुकानों को हटाकर इस क्षेत्र को फिर से उसके प्राकृतिक रूप में लौटा दिया गया।
स्थानीयों की सराहना, दुकानदारों की नाराजगी
जीएमसी की इस पहल को स्थानीय लोगों ने खुलकर सराहा। उनका कहना है कि लंबे समय से अतिक्रमण के कारण दिघलीपुखरी की सुंदरता और स्वच्छता प्रभावित हो रही थी। वहीं, दुकानदार इस अभियान के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। एक महिला दुकानदार ने दुख जताते हुए कहा, "सरकार न तो युवाओं को नौकरी देती है, न हमें रोज़गार करने देती है। अब हमारा परिवार कैसे चलेगा?"
खाओ गली: दो साल का सफर और अंत
करीब ढाई साल पहले शुरू हुई खाओ गली में फास्ट फूड, पानी-पुड़ी, चाय, आइसक्रीम और खिलौनों की दुकानें थीं, जो अब इतिहास बन गई हैं। स्थानीय वरिष्ठों का कहना है कि स्टॉल्स ने इस क्षेत्र का माहौल बदल दिया था, जिससे स्वच्छता और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
जीएमसी का रुख और भविष्य का सवाल
अभियान के दौरान, जीएमसी ने यह स्पष्ट किया कि शहर को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाना उनकी प्राथमिकता है। हालांकि, यह सवाल उठ रहा है कि रोजगार खोने वाले दुकानदारों के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी।
दिघलीपुखरी का प्रवेश द्वार अब स्वच्छ और खुला है, लेकिन इस बदलाव के साथ जुड़ी सामाजिक चिंताओं पर चर्चा जारी है।
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